Monday, October 31, 2011

सौ चिठ्ठियों के जवाब में एक ख़त

अंबरीश कुमार
लखनऊ । उतर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती की प्रधानमंत्री के नाम लिखे सौ से ज्यादा पत्रों के जवाब में कांग्रेस के एक पत्र ने सत्तारूढ़ दल को सांसत में डाल दिया है । यह सौ सुनार की बनाम एक लुहार की वाली कहावत को चरितार्थ भी करता है । इस पत्र के साथ ही विधान सभा चुनाव की तैयारी में जोर शोर से जुटी कांग्रेस मायावती को बचाव की मुद्रा में लाती दिख रही है ।सत्ता में आने के बाद मायावती ने अबतक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को करीब सौ पत्र लिख चुकी है पर केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश के पत्र ने मायावती की राजनैतिक घेरेबंदी कर दी है। जयराम रमेश का यह पत्र राजनैतिक मकसद में कामयाब होता नजर आ रहा है। किसी भी प्रदेश में किसी घोटाले की सीबीआई जांच सत्तारूढ़ दल के लिए परेशानी का सबब बन जाती फिर जब मामला उत्तर प्रदेश का हो जहां सभी दल चुनावी तैयारी में जुटे हों तो उसके राजनीति मायने भी होते है।उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ दल के विधायकों ,सांसदों और मंत्रियों से जुड़े कई मामले जांच के घेरे में है जिनमे राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन यानी एनआरएचएम का बड़ा घोटाला भी है जिसमे एक हिस्ट्रीशीटर सांसद,दो दागी मंत्री के साथ कई और नेता भी घेरे में है। पर मनरेगा का घोटाला विधान सभा चुनाव के मद्देनजर ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योकि इसका दायरा काफी बड़ा है और इसका राजनैतिक असर भी ज्यादा पड़ेगा ।
इस समय करीब दर्जन भर जिलों से मनरेगा को लेकर गंभीर शिकायते सामने आई है और चुनाव प्रचार के दौरान सरकारी लूट का मुद्दा कांग्रेस जोर शोर से उठाएगी । यही सवाल सत्तारूढ़ दल को सांसत में डाले हुए है जिसका जनाधार राजनीति के अपराधीकरण के साथ राजनैतिक लूट और वसूली के चलते खिसक रहा है । मायावती वर्ष २००७ में जब २०६ सीटों के साथ सत्ता में आई थी तो बसपा को ३०.४३ फिसद वोट मिला था पर उसके बाद कांग्रेस ने बढ़त ली और २००९ के लोकसभा चुनाव में बसपा का वोट बैंक तीन फीसद गिरकर २७.४२ फीसद पर पहुँच गया था। विधान सभा की सीटों में इसे तब्दील करने पर लोकसभा चुनाव में बसपा अपनी आधी क्षमता पर पहुँच चुकी थी । ऐसे में बसपा का संकट बढ़ सकता है। अन्ना हजारे के आंदोलन के चलते जो कांग्रेस पहले पशोपेश में थी अब आगे बढ़ कर सत्तारूढ़ दल पर हमला कर रही है। यह कांग्रेस की रणनीति का हिस्सा भी है । कांग्रेस की मीडिया कमेटी के प्रभारी राजबब्बर ने कहा -पहले की तुलना में कांग्रेस की स्थिति में काफी बदलाव आया है ,अब कांग्रेस चुनावी संघर्ष में आ चुकी है । लोकसभा चुनाव के नतीजों ने जिस तरह लोगों को चौकाया था वैसे ही नतीजे विधान सभा चुनाव के होंगे। सरकारी लूट खसोट और राजनैतिक गुंडागर्दी के खिलाफ कांग्रेस गांव गांव तक लोगों को लामबंद करेगी । यह सवाल उठाएगी कि गैर कांग्रेसी दलों ने इस प्रदेश को किस जगह पहुंचा दिया है ।
फिलहाल मुद्दा मायावती और केंद्र के बीच चिठ्ठी पटरी को लेकर शुरू हुए विवाद का है। मायावती अबतक अपने राजनैतिक एजंडा को लेकर पत्र भेजती रही है। चाहे उत्तर प्रदेश के बंटवारे का मामला हो या फिर बुंदेलखंड पॅकेज का मामला या फिर विभिन्न समुदायों के आरक्षण का मुद्दा हो इनका मकसद कांग्रेस की राजनैतिक घेरेबंदी ज्यादा रहा है। आज मायावती मीडिया को लेकर जो आरोप जयराम रमेश पर लगा रही है वे खुद यह करती रही है। कांग्रेस के मीडिया प्रभारी राजबब्बर ने कहा - मीडिया को तो मायावती पहले पत्र देती है फिर प्रधानमंत्री को भेजती है । मायावती ने जब भी प्रधानमंत्री को ख़त लिखा मीडिया को जानकारी दी गई और आमतौर पर प्रेस कांफ्रेंस कर यह जानकारी दी जाती रही है । आज वे इस तरह का आरोप लगा रही यह उन्हें शोभा नहीं देता ।
जाहिर है अब कांग्रेस मायावती के राजनैतिक हथियारों से ही मुकाबला कर रही है। जयराम रमेश के पत्र के बाद जिस तरह उत्तर प्रदेश सरकार में बैठको का सिलसिला चला और मनरेगा को लेकर विभिन्न जिलों से जानकारिय जुटाई गई वह सरकार की बेचैनी को दर्शाता है । सरकार यह भी नहीं चाहती कि इस घोटाले को लेकर सीबीआई जांच तक मामला पहुंचे वर्ना सत्तारूढ़ दल की मुश्किलें बढ़ सकती है इसलिए मायावती जयराम रमेश के पत्र के बावजूद केंद्र से कोई टकराव लेने के मूड में नहीं है । जिसका राजनैतिक फायदा कांग्रेस को मिलता नजर आ रहा है । जनसत्ता

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