Monday, October 3, 2011

दलित एजंडा पर लौटती मायावती

अंबरीश कुमार
लखनऊ , अक्तूबर। बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती बहुजन के साथ सर्वजन की बढ़ती दूरी को महसूस करने के बाद फिर दलित एजंडा पर लौटती नजर आ रही है । दलितों को लेकर उत्तर प्रदेश में जिस तरह कांग्रेस ,समाजवादी पार्टी और भाजपा दलितों को लेकर नए सिरे से पेशबंदी कर रही है उससे भी मायावती की दिक्कते बढ़ रही है । कांग्रेस ने दलित नेता पीएल पुनिया के जरिए मायावती के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है जो बार बार दलितों की उपेक्षा और उत्पीडन का मुद्दा उठा रहे है । भाजपा ने कल ही दलित सम्मलेन कर मायावती की दलित राजनीति पर निशाना साधा था । समाजवादी पार्टी का दलितों में बढ़ते आधार का अंदाजा इसीसे लगाया जा सकता है कि प्रदेश से सबसे ज्यादा दलित संसद इसी पार्टी में है । यही वजह है कि मायावती ने दलित और अन्य पिछड़ी जातियों के बीच अपना जनाधार मजबूत करने के लिए आज प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से उनके आरक्षण की मांग की ।
उत्तर प्रदेश में बसपा अपने राजनैतिक समीकरण को लेकर चिंतित है । इस बार बहुजन के साथ सर्वजन उस तरह नहीं खड़ा है जैसे पिछले विधान सभा चुनाव में खड़ा था । ब्राह्मण नेताओं के साथ राजपूत और बनिया बिरादरी के नेता भी हाशिए पर जा रहे है । तीन मंत्री राजेश त्रिपाठी ,सुभाष पांडे औए अंतू मिश्र का हाल सामने है । राजपूतों में धनंजय सिंह ,अशोक चंदेल और जितेंद्र सिंह उर्फ़ बबलू निपटाए जा चुके है । जितेंद्र सिंह ने तो बयान भी दिया कि बसपा में राजपूतों को प्रताड़ित किया जा रहा है । दूसरी तरफ दलित वोट बैंक में भी सेंध लग रही है । कांग्रेस ने पीएल पुनिया के जरिए सीधी चुनौती दे राखी है । भाजपा प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा -मायावती को अब दलितों की चिंता सता रही है । आज प्रधानमंत्री को लिखी चिठ्ठी इसका सबूत है । पर वे घडियाली आंसू बहा रही है । सरकारी नौकरी में तो वे दलितों की भर्ती का कोटा पूरा नहीं कर पी और अब निजी क्षेत्र की बात कर रह है ।
दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने आज केंद्र सरकार से अनुसूचित जाति-जनजाति के वर्तमान आरक्षण कोटे को बढ़ाने तथा इन वर्गों को निजी क्षेत्र व न्यायपालिका के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में भी आरक्षण की सुविधा देने की मांग की है । मायावती ने कहा कि समय के साथ अनुसूचित जाति-जनजाति वर्गों की आबादी में वृद्धि होने के बावजूद इन वर्गों का आरक्षण कोटा आज तक यथावत् बना हुआ है । इसमें अभी तक कोई बढ़ोत्तरी नहीं की गई है। इसलिए इन वर्गों को यह सुविधा देना जरुरी है।
मायावती ने प्रधानमंत्री डा मनमोहन सिंह को इस संबंध में लिखे अपने पत्र में कहा है कि देश में अनुसूचित जाति-जनजाति की सूची में अन्य पिछड़े वर्गों की जिन भी जातियों को शामिल किया जाए। उन सभी का आरक्षण का कोटा बढ़ाने व उनकी आबादी के हिसाब से उनका अलग से कोटा निर्धारित करने की शर्त शामिल हो ।साथ ही साथ उनके आरक्षण की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाए।
मायावती ने प्रधानमंत्री से इस मामले में जल्द निर्णय लेने का अनुरोध किया है । तथा उन्हें यह भी अवगत कराया है कि देश में अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के लोग गैर बराबरी वाली सामाजिक व्यवस्था के कारण सदियों से उपेक्षा के शिकार रहे हैं। इसी का परिणाम था कि इन वर्गों के लोगों को समस्त लाभों से वंचित किया गया है अभी तक । जिसके चलते इनकी सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक स्थिति खराब बनी रही है । उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद डा भीमराव अम्बेडकर के अथक प्रयासों के चलते ही भारतीय संविधान में इन वर्गों के लिए आरक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित की गई थी ।मायावती ने यह भी लिखा है कि उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति-जनजाति वर्गों के लोग खुश हैं। क्योंकि यहां की बीएसपी सरकार ने इन वर्गों के हितों के लिए प्रदेश स्तर पर अनेकों महत्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक निर्णय लिये हैं। जो कि पूर्व की सरकारों ने नहीं लिये थे। उन्होंने कहा कि अभी तक ऐसे फैसले को पूरे देश में लागू करने के सम्बन्ध में भारत सरकार ने भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया है ।
अनूसूचित जाति-जनजाति वर्गों के उत्थान व कल्याण के लिए प्रदेश सरकार के लिये गये कुछ महत्वपूर्ण फैसलों के बारे में मुख्यमंत्री मायावती ने प्रधानमंत्री जी अवगत कराते हुए लिखा है। उनकी सरकार ने वर्ष 2007 में सत्ता में आते ही वर्षों से सरकारी नौकरियों में खाली पड़े अनुसूचित जाति-जनजाति के आरक्षित पदों के बैकलाग को विशेष भर्ती अभियान चलाकर पूरा किया। इसके अलावा इन वर्गों के गरीब लोगों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए 25 लाख रूपये तक के सरकारी ठेकों में आरक्षण की एक नई व्यवस्था पहली बार लागू की है। इसके अलावा उनकी सरकार ने सरकारी विभागों, निगमों व परिषदों आदि में आउट सोर्सिंग के जरिए कराए जा रहे कार्य में भी सरकारी नौकरियों की तरह आरक्षण व्यवस्था को लागू किया है।

मायावती ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री का ध्यान राज्य सरकार की नई आर्थिक नीति की तरफ आकृष्ट कराते हुए यह भी लिखा कि राज्य सरकार की सहायता से निजी क्षेत्र में स्थापित की जाने वाली औद्योगिक इकाईयों, शैक्षिक प्रतिष्ठानों, अवस्थापना सुविधाओं, सर्विस सेक्टर की परियोजनाओं, तथा विनिवेशित इकाईयों आदि में सृजित होने वाले कुल रोजगार का 10 प्रतिशत अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित करने की व्यवस्था इस नीति में की गई है।
उन्होने ने यह भी अवगत कराया कि प्रदेश सरकार ने फैसला लिया कि पीपीपी माडल पर विकसित उद्यमों में उसी प्रकार नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था रखी जाएगी। जिस प्रकार राज्य सरकार अपने कर्मचारियों को अभी तक आरक्षण देती रही है। अर्थात कुल सृजित रोजगार की संख्या का 21 प्रतिशत अनुसूचित जाति, 02 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति तथा 27 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को दिया जाएगा। इसके अलावा प्रदेश सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में डा अम्बेडकर ग्राम सभा विकास योजना तथा शहरी क्षेत्रों में कांशीराम शहरी गरीब आवास योजना व कांशीराम शहरी दलित बाहुल्य बस्ती समग्र विकास योजना संचालित की जा रही हैं।jansatta

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