आलोक तोमर संकट में है .डाक्टरी जाँच में कैंसर का पता चला है .सुप्रिया से बात हुई तो ज्यादा कुछ नही बोली और हिम्मत भी नही कि उनसे ज्यादा बात करूँ .करीब डेढ़ महीने पहले ही रामगढ में पर नाश्ते पर मिले थे .बार बार यही कहना था कि दिल्ली से उब गया हूँ यहाँ आकर लिखना पढना चाहता हूँ .गुप्ता जी ने बताया कि फेसबुक पर वे यह जानकारी पहले ही दे चुके है .पिछले दो दशक से ज्यादा समय से आलोक तोमर का साथ है और उन्हें लगातार लड़ते भिड़ते देखा है .आलोक तोमर के लिखे से असहमत हो सकते है पर हिंदी पत्रकारिता में भाषा का जो प्रयोग आलोक तोमर ने किया उसका कोई मुकाबला नही कर सकता . जनसत्ता के उदय के साथ हिन्दी पट्टी में रिपोर्टर के रूप में जो नाम सबसे ज्यादा मशहूर हुआ वह नाम आलोक तोमर का था . प्रभाष जोशी की जिस टीम हम सब हिस्सा रहे है उसके वे लीडर रहे है .अब इस लड़ाई में हम सब उनके साथ है .
अंबरीश कुमार