Saturday, March 10, 2012

यह समाजवाद का नया चेहरा है


समूचे उत्तर भारत में समाजवाद का नया चेहरे बनकर उभरे अखिलेश यादव ने आज राजभवन जाकर समाजवादी पार्टी विधान मंडल दल की तरफ से सरकार बनाने का जैसे ही दावा पेश किया उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का माहौल बदल गया । दावा पेश करने के साथ ही अखिलेश यादव ने कहा -जो भी कहा है वह पूरा करूंगा । अखिलेश यादव मुख्यमंत्री पद की शपथ १५ मार्च को लखनऊ के लामार्टिनियर कालेज में ग्यारह बजे लेंगे । वे अखिलेश यादव जो इस बार हर किस्म की राजनीति पर भारी पड़े चाहे वह मंडल हो ,कमंडल हो या फिर दलित उभार की राजनीति हो । इस बार जब नतीजे आए तो लोग हैरान थे कि राहुल गाँधी से लेकर प्रियंका गाँधी के साथ समूची भगवा ब्रिगेड कैसे हाशिए पर चली गई और कैसे प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई मायावती सत्ता से बाहर हो गई । जो नहीं जानते है उनके लिए यह जानना जरुरी है कि इस जनादेश की कहानी उस संघर्ष में छुपी हुई है जो साढ़े चार साल तक अखिलेश यादव के नेतृत्त्व में चला और जिसे राष्ट्रीय मीडिया ने कभी गंभीरता से नहीं लिया । लाठी गोली खाने वाले समाजवादी पार्टी कार्यकर्त्ता समूचे प्रदेश में सरकारी दमन का शिकार हुए और बड़ी संख्या में जेल भेजे गए । इस जनादेश के नायक बन कर ऊभरे अखिलेश यादव ने न सिर्फ संघर्ष का नेतृत्त्व किया बल्कि प्रदेश के कोने कोने तक गए । दस हजार किलोमीटर की यात्रा पांच सौ से ज्यादा जन सभाए जिनमे तीन सौ जन सभाओं में वे समाजवादी क्रांति रथ के जरिए पहुंचे तो अंतिम दौर में हेलीकाप्टर में दो सौ घंटे गुजरे और इससे ज्यादा जन सभाओं तक पहुंचे । सड़क पर करीब ढाई सौ किलोमीटर तक की साईकिल यात्रा अलग थी । हर जगह भीड़ ,और नौजवानों का उत्साह दिखा जो किसी नेता के दौरे में था । इन सभाओ में अखिलेश यादव का अंतिम वाक्य होता था -सरकार नहीं बहुमत की सरकार चाहिए ,और लोगों ने छप्पर फाड़ बहुमत दिया ।
अखिलेश यादव से प्रभात खबर के लिए सविता वर्मा की बातचीत के अंश -
सवाल -आप पर परिवारवाद का आरोप लगता है । और नेताओं की तरह मुलायम सिंह ने आपको पुत्र होने की वजह से सामने किया ?
जवाब - यह याद्द रखना चाहिए कि कन्नौज के चुनाव में जब पत्रकारों ने छोटे लोहिया यानी जनेश्वर मिश्र से यह पूछा था तो उनका जवाब था , यह संघर्ष का परिवारवाद है ,सत्ता का परिवारवाद नहीं । पिछले साढ़े चार साल से हम लगातार संघर्ष कर रहे है ,उनमे से नहीं है जो चुनाव के समय मैदान में आ गए हों ।हमारे कार्यकर्ताओं को बुरी तरह मारा गया ,फर्जी मुकदमो में फंसाया गया और जेल भेज दिया गया । उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा जुल्म हम पर हुआ और हम ही लड़े ।
सवाल -इससे यह आशंका हो रही है कि सत्ता में आने साथ बदले की कार्यवाई होगी । करीब आधा दर्जन जिलों से समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं की अराजकता और हिंसा की खबरे आ रही है ?
जवाब -पहले तो यह साफ़ हो जाना चाहिए कि समाजवादी पार्टी सरकार बदले की भावना से कोई काम नहीं करने जा रही है । जिन दलित महापुरुषों की मुर्तिया लगी है उनकी हिफाजत की जाएगी । जो भी मुर्तिया लगाई गई वे वैसी ही रहेंगी । यह बात तो नेता जी ने पहले ही साफ़ कर दी है । जहाँ तक हिंसा की बात है तकनिकी टूर पर अभी हम सरकार में नही है फिर भी मुख्य सचिव और डीजीपी को बुलाकर ऎसी हिंसा से कड़ाई से निपटने का निर्देश दिया जा चूका है । हमने पार्टी कार्यकर्ताओं को साफ़ कर दिया है कि किसी तरह की भी गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं होगी और जो भी इसमे शामिल हुआ उसक खिलाफ कड़ी कार्यवाई होगी ।
सवाल - इस बार के चुनाव प्रचार में फिल्मी सितारें नहीं दिखे जबकि पिछली बार अमर सिंह ने कई अभिनेता और अभिनेत्रियों की लाइन लगा थी ।
जवाब अंकल की बात और थी ,पर हमें कोई जरुरत नहीं महसूस हुई । यह चुनाव संघर्ष की बुनियाद पर पार्टी की नीतियों और कार्यक्रमों के आधार पर लड़ा गया ।
सवाल - पार्टी में अभी भी कई दागी नेता है ?
जवाब-यह संदेश साफ़ तरीके से दिया जा चूका है कि बाहुबल और धनबल की राजनीति का दौर जा चुका है । किसी भी बड़े बाहुबली को पार्टी में जगह नहीं दी गई । आगे भी इसपर पूरा ध्यान रखा जाएगा ।
सवाल -इस चुनाव में किस बात ने आपको ज्यादा प्रभावित किया ?
जवाब -नौजवानों का उत्साह । मैंने लगातार यात्रा की और हर जगह हर जगह बड़ी संख्या में नौजवानआए । वे बदलाव की उम्मीद में आ रहे है । इसी से साफ़ हो गया कि हम सबसे आगे है ।
सवाल -आप बाहर पढ़े लिखे और पार्टी के कार्यक्रमों का भी बहुत ज्यादा अनुभव नहीं है ,ऐसे में दिक्कत नहीं आएगी ?
जवाब -मै जब बोर्डिंग में रहकर पढाई कर रहा था तो अवकाश में लखनऊ आया था ।तभी नेताजी ने मेरी मुलाकात जनेश्वर मिश्र से कराई तो मैंने उनके पैर छुए और उन्होंने मेरी पीठ पर जोर का हाथ मारकर कहा ,तुम भी राजनीति ही करोगे । फिर ३१ जुलाई २००१ को जो पहला क्रांति रथ निकला उसे जनेश्वर जी ही हरी झंडी दी थी ।
सवाल -राजनीति में किससे प्रेरणा लेते है ?
जवाब -आपको पता है मै जिस क्षेत्र से लोकसभा जाता हूँ वह लोहिया का क्षेत्र रहा है ।उससे बड़ी राजनैतिक वरासत क्या होगी । लोहिया को पढ़कर कर ही राजनीति का ककहरा सीखा है ।अब समय आ गया है उनके समाजवादी मूल्यों पर अमल करने का ।
साभार प्रभात खबर