Wednesday, October 5, 2011

हजारे के दौरे से पहले ही टीम अन्ना तीन धडों में बंट गई !


अंबरीश कुमार

लखनऊ , अक्तूबर । उत्तर प्रदेश में भष्टाचार के खिलाफ अभियान छेड़ने जा रहे अन्ना हजारे के लखनऊ दौरे से पहले ही यहां टीम अन्ना तीन धडों में बंट गई है । जिससे अन्ना आंदोलन के समर्थक आहत है । ख़ास बात यह है कि अब अन्ना आंदोलन के सभी गुट खुलकर सामने आ गए है और बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे है । इस टकराव के मूल में लाखों का चंदा और गैर गांधीवादी तरीके से आंदोलन को चलाना रहा है ।इससे अन्ना के अभियान को झटका लग सकता है । प्रदेश की राजधानी में अन्ना आंदोलन यहां तीन चार लोगों की टीम संचालित कर रही थी जिसमे जयप्रकाश आंदोलन के अखिलेश सक्सेना और राजीव हेम केशव के अलावा बैंक यूनियन के नेता आरके अग्रवाल ,मुन्ना लाल शुक्ल और सौरभ उपाध्याय आदि शामिल थे । मंगलवार को टीम अन्ना के एक धड़े ने प्रेस कांफ्रेंस करके दूसरे धड़े पर कई तरह की अनियमितताओं का आरोप लगाया था तो आज टीम अन्ना के महत्वपूर्ण नेताओं में शामिल मुन्ना लाल शुक्ल ने अन्ना आंदोलन के नाम पर चंदे में लाखों के घोटाले का आरोप लगाया ।शुक्ल के आरोप से पहले अन्ना आंदोलन समिति के संयोजक और इंडिया अगेंस्ट करप्शन के मुख्य कर्ताधर्ता अखिलेश सक्सेना ने समिति के दो प्रमुख सहयोगियों आरके अग्रवाल और सौरभ उपाध्याय को गंभीर अनियमितताओं और अनुशासनहीनता के आरोप में अपनी समिति से निलंबित करने का एलान किया । अखिलेश सक्सेना ने जनसत्ता से कहा - हमने मजबूर होकर यह कदम उठाया है । हम काफी समय से चंदे के पैसे का हिसाब मांग रहे थे जो नही दिया गया । जब अन्ना का आंदोलन चल रहा था तो एक नेता अन्ना टोपी पहन कर अनशन स्थल पर ही शराब का दौर चलाते थे ।गांधी की फोटो लाकर इस तरह के आचरण पर हमने इन नेताओं को कई बार आगाह किया पर वे नहीं माने । हम तब भी चुप रहे कि सुधर जाएंगे । बाद में हमने अन्ना हजारें को भी यह जानकारी दी थी । पर अब जब पानी सर से ऊपर निकलने लगा तो हमने मीडिया को यह जानकारी देना जरुरी समझा ।

दूसरी तरफ आरके अग्रवाल ने अपने निलंबन को अवैध बताते हुए कहा - उन्हें यह अधिकार ही नहीं है ।अन्ना की वेब साईट पर हमारा ही नाम है इसलिए हम ही वास्तविक नेता है । अखिलेश सक्सेना के बारे में आप मैगसेसे पुरस्कार विजेता संदीप पांडेय से बात कर लें सब पता चल जाएगा ।लाखों के चंदे की बात बेमानी है सिर्फ ढाई लाख रुपए जमा हुए थे ।पर अखिलेश सक्सेना ने कहा -सरकारी एजंसी ने करीब सत्रह लाख रुपए के चंदे का अनुमान लगाया था इसलिए इसमे बहुत ज्यादा फर्क नहीं होना चाहिए । यह जनता का धन है जो अन्ना हजारे के नाम पर लोगों ने दिया है इसलिए इसका ब्यौरा वेब साईट पर देना चाहिए था ।
दरअसल उत्तर प्रदेश की राजधानी में अन्ना आंदोलन शुरू से दो खेमों मे बंटा रहा जिसमे एक का नेतृत्व अखिलेश सक्सेना करते थे तो दूसरे का आरके अग्रवाल । अखिलेश सक्सेना के मुताबिक उनका जोर समर्पण और सादगी पर था जबकि आरके अग्रवाल और सौरभ उपाध्याय आदि ट्रेड यूनियन वाले तेवर में चल रहे थे ।इसी को लेकर पहला टकराव तब हुआ जब पिछले दिनों गांधी के प्रतीकों का इस्तेमाल करते हुए आंदोलन और अनशन शुरू हुआ । एक धड़ा रात होते ही अनशन स्थल के पास मदिरा का दौर शुरू कर देता जिसपर कुछ अनशनकारियों ने एतराज किया । इनमे अखिलेश सक्सेना भी थे ।गौरतलब है कि अन्ना के अनशन के दौरान अखिलेश सक्सेना और मुन्ना लाल शुक्ल भी अनशन पर बैठ गए थे जिससे इन लोगों का आभामंडल भी बना ।
संदीप पांडेय के साथ काम कर चुके मुन्ना लाल शुक्ल ने जनसत्ता कहा - अन्ना आंदोलन में शामिल दोनों गुट पैसे के चलते पूरे आंदोलन को तोड़ रहे है । इसी वजह से हमने मनीष सिसोदिया से कहा कि अब तो तीसरा मोर्चा बनाना पड़ेगा तो उन्होंने भी सहमती जताई । आंदोलन के दौरान लाखों रुपए चंदा आया पर कहा गया पता नहीं । एक हम जैसे कार्यकर्त्ता है जिसके पास अन्ना के गांव तक जाने का पैसा नहीं है । जो साधन संपन्न है वह जाकर चिठ्ठी ले आता है पर अब हम भी जा रहे है अन्ना को सब साफ़ साफ़ बताने कि कौन क्या क्या धंधा कर रहा है । इस मामले में कोर कमेटी के सदस्य और सर्वव सेवा संघ के सचिव राम धीरज से बात करने पर उनका जवाब था -आप संजय सिंह से बात करे जो प्रभारी है । पर बहुत प्रयास के बाद भी संजय सिंह ने फोन नहीं उठाया । ख़ास बात यह है कि आरोप टीम अन्ना के ही लोगों ने एक दूसरे पर लगाए है किसी राजनैतिक दल के लोगों ने नही ।जनसत्ता

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