Friday, October 14, 2011

रथ यात्रा को लेकर उत्साह नही

अंबरीश कुमार
मिर्जापुर , अक्तूबर । उत्तर प्रदेश में भाजपा के शीर्ष नेता और प्रधानमंत्री पद के मुख्य दावेदार लाल कृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा बिना कोई राजनैतिक असर डाले चली गई। रथ यात्रा को लेकर आमजन में तो कोई उत्साह नही ही था पार्टी कार्यकर्ताओं का भी उत्साह पहले जैसा नहीं रहा । इसका बड़ा श्रेय उत्तर प्रदेश के दिग्गज नेताओं का टकराव ,अंह और राजनैतिक प्रबंधन को भी जाता है। ख़ास बात यह है कि आडवाणी की यात्रा उत्तर प्रदेश के एक किनारे से बाहर निकल गई वरना और फजीहत होती । मुगलसराय ,वाराणसी और फिर मिर्जापुर में आडवाणी की जन सभा हुई पर उस काशी में मंदिर आंदोलन के नायक की सभा फ्लाप हो जाना जो पार्टी के एजंडा में रहा है सभी को हैरान करने वाला है । वाराणसी के सांसद भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी है तो पार्टी के दो मौजूदा विधायक भी यही के है। अफसरों से गाली गलौच के साथ बात करने वाला बिगडैल मेयर भी भाजपा का है । इस सबके बावजूद बनारस के भारत माता मंदिर परिसर में आडवानी की जन सभा में करीब चार हजार लोगों का इकठ्ठा हो पाना जन चेतना यात्रा की हवा बिगाड़ने के लिए काफी है।यह संख्या भी कुछ ज्यादा मानी जा रही है । गनीमत यह हुई की मिर्जापुर में बहुजन समाज पार्टी की तरफ से दागी मंत्री रंगनाथ मिश्र का टिकट कर एक मुस्लिम उम्मीदवार को दे दिया गया जिसके चलते मजहबी ध्रुवीकरण और बसपा के बागी नेता व उनके समर्थकों ने परदे के पीछे से आडवाणी की सभा को सफल बनाने में बड़ी भूमिका निभाई । इससे यह भी साबित होता है कि पार्टी के नेता अगर ताकत लागाते तो काशी से आडवाणी का बड़ा राजनैतिक संदेश जाता।
उत्तर प्रदेश में आडवाणी की मुगलसराय में होने वाली जन सभा को लेकर दिन भर नाटक चला क्योकि प्रशासन ने पहले रेलवे मैदान में जन सभा की इजाजत दी फिर रद्द कर दी अंततः दबाव बढ़ने पर इजाजत देनी पड़ी । इस सबके चलते लोग उस जन सभा में पहुंचे भी। पर काशी से आडवाणी जिस जोश खरोश के साथ समूचे देश को राजनैतिक संदेश देना चाहते थे वह नही हो पाया । शहर के बीच में जन सभा रखी गई जिसमे आम लोग कम और पार्टी कार्यकर्त्ता ज्यादा थे । मुरली मनोहर जोशी यहाँ के सांसद तो है ही साथ ही पार्टी पर भी उनका काफी असर है ।वे भी प्रधानमंत्री पद के दावेदार माने जाते है । दबी जबान में भाजपा के नेता इशारा भी करते है कि जोशी ने कोई दिलचस्पी इस यात्रा के कार्यक्रम में नही ली । भाजपा के एक नेता ने नाम न देने की शर्त पर कहा -उत्तर प्रदेश में हर बड़ा नेता जब एक दूसरे की टांग खीचेगा तो क्या होगा । सभी जानते है कि जनसभा में भीड़ लाना एक राजनैतिक प्रबंधन का काम होता है जो सभी दल करते है । फिर भीड़ लेन बाद वह उसे कुछ देर बैठाने का इंतजाम करना पड़ता है । यहां तपती धूप में न तो शामियाना लगाया गया और न पानी का इंतजाम था । यह सब तो भाजपा के स्थानीय नेताओं को करना था और इसकी निगरानी कार्यकर्ताओं के पैसे पर पलने वाले संगठन मंत्रियों को करनी थी । यह सब नहीं किया गया वर्ना काशी की सभा फ्लाप नहीं होती ।
पर इससे बड़ा सवाल यह भी खड़ा हुआ कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आडवाणी की रथ यात्रा को कोई बड़ा जन समर्थन क्यों नहीं मिला । अन्ना हजारे के आंदोलन के दौरान भी उत्तर प्रदेश में उस तरह का जन उभार सामने नही आया था जिस तरह दिल्ली में दिखलाया जा रहा था। उत्तर प्रदेश में चुनावी माहौल बन रहा है जिसमे भाजपा और कांग्रेस सपा-बसपा से पीछे है। मुख्य लड़ाई सपा और बसपा में मानी जा रही है और यही दोनों दल जमीन पर टकरा रहे है ऐसे में कांग्रेस और भाजपा की राजनैतिक जगह काफी कम होती जा रही है। फिर उत्तर प्रदेश की राजनैतिक लड़ाई में जाति और संप्रदाय की महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है । फिलहाल कोई मजहबी टकराव का माहौल नहीं है इसलिए भाजपा की कोई बड़ी भूमिका नहीं बन पा रही है। ऐसे में उत्तर प्रदेश के राजनैतिक माहौल पर भाजपा के नेताओं का कोई ज्यादा असर भी नहीं पड़ पा रहा है। मिर्जापुर की जनसभा में आए एक बुजुर्ग सूरज प्रसाद ने कहा - आडवाणी कई बार रथ यात्रा कर चुके और उनसे एक वर्ग की यह अपेक्षा थी कि वे अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण करा देंगे जो उनका नारा और वादा था। पर जब यह नहीं हो पाया तो मान लिया गया कि सत्ता में आने के लिए पार्टी ने राम के नाम का इस्तेमाल किया। इसीलिए आडवाणी या किसी भी भाजपा नेता की रथ यात्रा का अब असर होता दिखाई नहीं पड़ता । दूसरे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने से पहले आडवानी को पार्टी से भ्रष्ट नेताओं को बाहर करना होगा । दोहरे मानदंडों की वजह से ही पार्टी की साख खराब हुई है जिसके चलते लोगों का आडवाणी से भी मोहभंग हुआ है ।
वाराणसी के बाद आडवानी जब मिर्जापुर में बोले तो फिर मंदिर के मुद्दे पर भी लौट आए। मिर्जापुर काफी समय से भाजपा का गढ़ रहा है जिसके चलते यहां आडवाणी को लोग सुनने भी पहुंचे । दूसरे बसपा ने दागी मंत्री रंगनाथ मिश्र का टिकट काट कर मुस्लिम उम्मीदवार को दे दिया जिसकी प्रतिक्रिया भी हुई। इस मामले में मिर्जापुर को संवेदनशील भी माना जाता है । यह स्थानीय वजह है जिससे कोई राजनैतिक आकलन करना उचित नहीं होगा ।पर कुल मिलकर आडवाणी की रथ यात्रा का उत्तर प्रदेश के राजनैतिक अरिद्रिश्य पर कोई असर पड़ता नजर नहीं आता है ।

1 comment:

किलर झपाटा said...

एक बार पूरा देश मिलकर सिर्फ़ निर्दलीयों को जितवा दे चुनाव। एवरी बडी विल बि आलराइट। एम आय रॉंग ?