Wednesday, August 18, 2010

पूरब में भी किसान आंदोलन

अंबरीश कुमार
लखनऊ , अगस्त । यमुना एक्सप्रेस वे के खिलाफ अलीगढ़ के टप्पल के जिकरपुर गाँव से शुरू हुआ किसान आंदोलन अब गंगा एक्सप्रेस वे इलाके तक पहुँच गया है । टप्पल में किसानो का धरना जारी है और अब मुआवजा की बजाय जमीन बचाने पर जोर दिया जा रहा है । खेती बचाओ - गाँव बचाओ आंदोलन के नेता डाक्टर गिरीश ने कहा - टप्पल में धरना दे रहे किसानो और खासकर महिलाओ का साफ कहना है कि मुआवजा नहीं जमीन चाहिए । इस बीच दादरी के किसानो ने बझेडा में पंचायत कर जहाँ समर्थन का एलान किया । जबकि गंगा एक्सप्रेस वे के खिलाफ आंदोलनरत कृषि भूमि बचाओ मोर्चा की बलिया में हुई बैठक में अलीगढ के किसानो के समर्थन में गुरूवार को हर जिले में विरोध जताने और फिर तीन दिन बाद धरना देने का एलान किया गया । इस बीच समाजवादी पार्टी ने मायावती सरकार पर फिरोजाबाद और इलाहाबाद में नए सिरे से भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही शुरू करने की निंदा की । पार्टी ने बताया कि इलाहाबाद ,फिरोजाबाद ,आगरा ,मथुरा जैसे कई जिलों में किसानो ने प्रदर्शन कर भूमि अधिग्रहण का विरोध किया है ।
टप्पल में धरना दे रहे किसानो को चौतरफा समर्थन मिलने लगा है । आज कल्याण सिंह भी किसानो के बीच पहुंचे और समर्थन का एलान किया । किसान मंच का एक प्रतिनिधिमंडल २१ अगस्त को टप्पल पहुँच कर धरना पर बैठेगा । किसान मंच के अध्यक्ष विनोद सिंह ने बताया कि अलीगढ के किसानो का समर्थन विदर्भ के किसानो ने भी किया है और यवतमाल ,वर्धा और नागपुर से कुछ किसान यहाँ आने का कार्यक्रम बना रहे है ।
भाकपा के राज्य सचिव और खेती बचाओ -गाँव बचाओ आंदोलन के नेता डाक्टर गिरीश ने टप्पल से लौटकर बताया कि अब वहां के किसान मुआवजा नहीं जमीन चाहते है । गाँव की एक महिला ने तो यह भी कहा कि खेती की जमीन देख कर शादी हुई थी अब जमीन कैसे दे देंगे । जमीन नहीं रहेगी तो खाएंगे क्या ?भाकपा का एक प्रतिनिधिमंडल २० को टप्पल जा रहा है जो किसानो के साथ धरना पर बैठेगा ।
गौरतलब है कि भूमि अधिग्रहण को ले कर अब नई बहस भी शुरूं हो गई है । जिन किसानो ने लखनऊ में इंदिरा नगर और गोमती नगर के लिए अपनी जमीन बेचीं थी उनमे से कुछ के घर की महिलाए आज उसी जमीन पर बनी कोठियों में चौका बर्तन करती है। इसी तरह नोयडा की तरफ जमीन बेचने वाले किसानो का पैसा घर बनवाने से लेकर आलिशान वाहन लेने और फिर किसानी छोड़ दूसरे धंधे में लगा । ज्यादातर की हालत अब खराब हो चुकी है । इसलिए अब किसान मुआवजा की बजाय जमीन बचाने की कोशिश में है । खास बात यह है कि जहाँ भी मुआवजा का सवाल उठा वहा लाठी गोली चली । जहा जमीन न देने का संघर्ष हुआ वहा किसान भरी पड़े । उदहारण है गंगा एक्सप्रेस वे का । बलिया से लेकर वाराणसी ,भदोही ,मिर्जापुर और इलाहाबाद में किसानो ने पैमाइश तक नहीं होने दी । कृषि भूमि बचाओ मोर्चा के उपाध्यक्ष बलवंत यादव ने कहा - अभी पिछले महीने ही मिर्जापुर में पदयात्रा कर किसानो की जमीन अधिग्रहण का विरोध किया था । लैड पार्सल के लिए जेपी समूह के लोग ४०० हेक्टेयर जमीन चाहते है पर किसान देने को तैयार नहीं है । हम लोगो ने तो पैमाइश भी नहीं होने दी । हम किसानो की जमीन लेने के खिलाफ है । अब अलीगढ के किसानो के समर्थन में पूर्वांचल में भी आंदोलन छेड़ेंगे । शुरुवात कल से होगी ।
उधर समाजवादी पार्टी प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने आज कहा -अलीगढ़, आगरा, मथुरा, मेरठ में किसान आंदोलन थमा नहीं था कि जनपद फिरोजाबाद में 1725 एकड़ किसानों की जमीन के अधिग्रहण की कार्यवाही शुरू हो गई है। ग्राम पचोखरा, देवखड़ा, छिकाऊ, हिम्म्तपुर तथा गढ़ीहरिया सहित 29 गांवों के किसान इसके विरोध में कई दिनों से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। आज हजारों किसानों ने काली पटटी बांधकर विरोध जताया। इलाहाबाद में भी 75 लाख बीघा जमीन किसानो से छीनकर जेपी ग्रुप को दे दी गई है।
जनसत्ता

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