Thursday, August 12, 2010

कश्मीर को बफर स्टेट बना देंगे ?

कृष्ण मोहन सिंह
नईदिल्ली,अगस्त ।क्या प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पूरी तरह अमेरिका के इशारे पर चल रहे हैं। अमेरिका निर्देशित रक्षा नीति ,कृषि नीति,शिक्षा नीति ,आर्थिक नीति और विदेशनीति यानी त्वमेव सर्वमम देव देव: ।अमेरिका चाहता है जम्मू-कश्मीर एक स्वतंत्र बफर स्टेट बन जाय। केवल कहने के लिए भारत का अंग रहे। सारा संसाधन-खर्चा भारत से ले,लेकिन रहे स्वतंत्र।भारत का उसपर कोई लगाम,कन्ट्रोल नहीं रहे। अमेरिका यह काम करवाना चाहता है अपने यसमैन भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से। जिस दिन मनमोहन सिंह यह करदेंगे उस दिन उनको(मनमोहन) विश्वशांति पुरस्कार मिलना पक्का। वैसे अब तक मनमोहन ने भारत में जो भी नीतियां लागू की हैं उनसे सबसे अधिक फायदा अमेरिका व उसकी लाबी के देशों को ही हुआ है। न्यूकडील से सबसे अधिक फायदा किसको होगा, अमेरिका को। उसके परमाणु रियेक्टर बनाने वाले कारखाने बंद हो गये थे,उसमें काम करने वाले लोग बेरोजगार हो गये थे, इस समझौते के बाद जितने परमाणु रियेक्टर बनाने के आर्डर अमेरिका व उसकी लाबी देशों की कम्पनियों को मिलेंगे उतना ही उन देशों को फायदा होगा। परमाणु रियेक्टर आधारित पावर प्लांट लगाने के लिए अमेरिका व उसकी लाबी वाले देशों से भारत ऋण लेगा और ऊंचे व्याज दर पर लंबे समय तक चुकाता रहेगा। यानी अमेरिका मंहगे व्याज से भी कमायेगा और परमाणु रिएक्टर बेच करके भी कमायेगा। कोई दुर्घटना हुई तो रिएक्टर सप्लाई करने वाली कम्पनी की कोई जिम्मेदारी नहीं वाला बिल मनमोहन संसद के इस सत्र में पास कराने की साम-दाम दंडी योजना बना ही रहे हैं।पूरी तरह उसके ट्रेप में गुलाम रहेगी भारतीय परमाणु शोध व अर्थव्यवस्था। इसी तरह मंहगे और एकबार प्रयोग होने वाले बीज का प्रयोग करने के लिए भारत में जो सरकारी व गैर सरकारी स्तर पर जोर-शोर से योजनायें चल रही हैं ,सब अमेरिकी व उसकी लाबी वाले देशों की बीज , कीटनाशक दवा व खाद कम्पनियों को भारी लाभ पहुंचाने और उनका भारत में बड़ा बाजार बनाने के लिए हो रहा है। यही शिक्षा के क्षेत्र में हो रहा है। भारत में जो भी बड़े विश्वविद्यालय हैं चाहे वह काशी हिन्दू विश्व विद्यालय वाराणसी ,अलीगढ़ मुस्लीम विश्वविद्यालय या शांतिनिकेतन हो, सबके सब अपने समय के बड़े लोगों ने भीख मांगकर बनाया था। आज मनमोहन और कपिल सिब्बल भारत को देशी –विदेशी शिक्षा माफियाओं का लूट का केन्द्र बनाने में लगे हैं।ये भारत में शिक्षा इतनी मंहगी करते जा रहे हैं कि आम आदमी व गरीब का बच्चा पढ़ ही नहीं सकता। जो पढ़ेगा वह ऋण में गले तक डूब जायेगा। यह सिब्बल नकलची शिक्षकों को नियुक्त करने वाले भ्रष्टाचारी व महिलाओं को छिनाल कहने वाले कुलपतियों तक को बचाने में लगे हैं,ऐसे कुलपतियों को नतो सस्पेंड करा उनके खिलाफ जांच करा रहे हैं ,नहीं उसके बर्खास्तगी के लिए राष्ट्रपति के यहां फाइल भेज रहे हैं। इस सिब्बल और इनके जातीय अमेरिका परस्त मनमोहन का एक मात्र एजेंडा भारतीय शिक्षा को देशी-विदेशी शिक्षा धंधेबाजो के हाथों में सौंपने के अमेरिकी एजेंडा को लागू करना है।इनसे आमगरीब जनता की भलाई का क्या उम्मीद किया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक जम्मू –कश्मीर के मामले में भी मनमोहन वही करने की कोशिश कर रहे हैं जो अमेरिका चाहता है। जिस दिन जम्मू-कश्मीर पूरा आटोनोमस हो गया उस दिन वह अमेरिका के ट्रेप में आ जायेगा। अमेरिका चाहता है कि जम्मू-कश्मीर एक स्वायत्त देश की तरह हो जाये।उसके अन्दर उसका अपना राज हो।भारत की सेना उस के अन्दर नहीं घुसे । भारत की सेना जम्मू-कश्मीर से सटे भारत की सीमा पर रहे। जम्मू-कश्मीर सीधे अमेरिका व उसके लाबी के देशों से तरह-तरह के संधि कर ले। वहां यूनाइटेड नेशंस की कुछ फौज शांति बनाये रखने व निगरानी के बहाने रहें। इस तरह जम्मू-कश्मीर पूरी तरह अमेरिका के अघोषित कब्जे में आ जाये।
मनमोहन सिंह ने 10 अगस्त की देर शाम को जम्मू-कश्मीर के लगभग सभी दलों के साथ बैठक के बाद जब यह कहा कि जम्मू-कश्मीर को संवैधानिक ढ़ांचे के तहत स्वायत्तता देने पर विचार किया जा सकता है ,तो मनमोहन के इस कहे का निहितार्थ स्पष्ट हो गया है। वह है जम्मू-कश्मीर पर अमेरिकी एजेंडा लागू करने की दिशा में पहल। उनके इस कहे के बाद अब यह आशंका होने लगी है कि मनमोहन सिंह व उनके सजातीय चहेते गृहमंत्री पी.चिदम्बरम अमेरिकी रणनीति व सोची-समझी योजना के तहत जम्मू-कश्मीर में हिंसा भड़कने दिये। मामला खूब तूल पकड़ लिया तो अब स्वायत्तता देने की बात करने लगे हैं।
सवाल है कि जब स्वायतत्ता ही देनी थी तो इसके रक्षार्थ अब तक हजारों-लाखों जवानों की बलि क्यों दी गई । क्या इसलिए कि उन जवानों में कोई किसी मनमोहन,चिदम्बरम,फारूख अब्दुल्ला, एंटोनी के लड़के ,दामाद नहीं थे।इनके तरह अमीर नहीं थे।
और जब जम्मू-कश्मीर को स्वायत्तता दे देंगे तब पूर्वोत्तर भारत के भी कई राज्यों को कैसे मना करेंगे मनमोहन सिंह जी ?

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