Thursday, August 19, 2010

गरीबों के खेत पर अमीरों की सड़क

अंबरीश कुमार
लखनऊ अगस्त । उत्तर प्रदेश में गंगा -यमुना के नाम पर मायावती सरकार गरीबों का खेत उजाड़कर जो पांच सितारा सड़क बनाई जाएगी उस पर अमीर ही चल पाएगा आम आदमी नहीं । यमुना एक्सप्रेस वे के नाम दोआबा की १६०००० ( एक लाख साठ हजार) हेक्टेयर उपजाऊ किसानो से ली जानी है जिससे ३१८ गाँव पूरी तरह ख़त्म हो जाएंगे । इसमे यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास अथारिटी की जमीन नहीं जोड़ी गई है जिसके दायरे में ८५० गाँव आ रहे है । और इसके बदले जो सड़क बनेगी उस पर अलीगढ से आगरा तक की करीब १६५ किलोमीटर की दूरी के लिए कर से जाने पर करीब हजार रुपए टोल टैक्स देना पड़ेगा । यह उस यमुना एक्सप्रेस वे का दूसरा पहलू है जिसकी बुनियाद भारतीय जनता पार्टी के राज में तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह के समय पड़ी थी । तब उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास प्राधिकरण एक्ट १९७६ के तहत इस सिलसिले में आठ गाँवो की जमीन लेने के अधिसूचना जारी की गई थी । जिसका विरोध किसान मंच के नेतृत्व में वीपी सिंह ने ग्रेटर नोयडा में किया था । अब किसान संगठन से लेकर राजनैतिक दलों ने निजी क्षेत्र की किसी भी परियोजना के लिए किसानो की जमीन लेने का भी विरोध शुरू कर दिया है । इन संगठनो ने एलान किया कि गरीबों का खेत उजाड़ कर सड़क नहीं बनने दी जाएगी ।
इस बीच अफसरों से राजनैतिक मुद्दों को सुलझाने में जुटी मायावती को फिर झटका लगा है । अलीगढ के बाद आगरा में भी किसानो ने सरकार की पेशकश ठुकरा दी । टप्पल में किसानो का आंदोलन समूचे प्रदेश के किसानो का केंद्र बन गया है । अब किसान आगे है और नेता पीछे । जो भी सरकार के झांसे में आया उसे किसान किनारे कर दे रहे है । राम बाबू कठेलिया उदाहरण है । टप्पल के किसान आंदोलन के समर्थन में भारतीय किसान यूनियन टिकैत ,किसान मंच ,दादरी किसान आंदोलन ,किसान यूनियन अम्बावता गुट ,किसान यूनियन चौधरी हरपाल गुट ,भूमि अधिग्रहण विरोधी प्रतिरोध समिति ,कृषि भूमि बचाओ मोर्चा उतर चुका है । जबकि किसान आंदोलन को समर्थन करने वाले राजनैतिक दलों में समाजवादी पार्टी ,लोकदल ,भाकपा ,माकपा ,जन संघर्ष मोर्चा ,भाकपा माले, राष्ट्रीय जनता दल ,फॉरवर्ड ब्लाक ,कांग्रेस और भाजपा भी शामिल है ।
यह बात अलग है कि एक तरफ जहाँ यमुना एक्सप्रेस वे की बुनियाद भाजपा के राज में पड़ी वही कांग्रेस सेज के नाम पर किसानो की जमीन लेने का रास्ता भी बना चुकी है । भूमि अधिग्रहण का कारगर ढंग से विरोध वीपी सिंह ने ही किया था और दादरी में अधिग्रहित जमीन पर ट्रैक्टर चलाकर आंदोलन छेड़ दिया था । उनके संगठन किसान मंच के अध्यक्ष विनोद सिंह ने कहा - यमुना वे हो या गंगा वे यह सब किसानो को बर्बाद करने की साजिश है जिसका किसान संगठन जमकर विरोध करेंगे । ऐसी सड़क पर कौन चलेगा जिसपर वाराणसी से दिल्ली तक करीब दो हजार रुपए टोल टैक्स पड़ेगा ।
गौरतलब है है कि अलीगढ से आगरा तक १६५ किलोमीटर की दूरी में १६ टोल टैक्स गेट होंगे और हर गेट पर कर के लिए ५५ रूपये टैक्स देना होगा । यह टैक्स जेपी समूह ३६ साल तक वसूलेगा । खास बात यह है की जिस किसान के खेत से यह सड़क गुजरेगी उसे भी सड़क पर कर अपने खेत में जाने के लिए टैक्स देना होगा क्योकि यह एक्सेस कंट्रोल हाई वे होगा । किसान की टोल गेट से टैक्स देकर ही अपने खेत में जाना होगा । राजद के प्रदेश अध्यक्ष अशोक सिंह ने कहा - सरकार किसानो पर जुल्म कर रही है जिसका सड़क पर उतर कर विरोध करेंगे । इस बीच जन संघर्ष मोर्चा ने २३ अगस्त के दिल्ली सम्मलेन में किसानो का सवाल पुजोर ढंग से उठाने का फैसला किया है ।
भारतीय जनता पार्टी ने मुआवजा मांग रहे किसानों के साथ लगातार हो रही पुलिस बर्बरता पर कड़ा रूख अपनाते हुए आज कहा कि बसपा सरकार एक औद्योगिक घराने को मुनाफा पहुंचाने वाली एजेंसी बन गई है। प्रदेश प्रवक्ता सदस्य विधान परिषद हृदयनारायण दीक्षित ने टप्पल अलीगढ़ के किसानों पर हुए लाठी, गोलीकाण्ड से सीख न लेकर आगरा में भी वही पुलिसिया तांडव दोहराने के लिये सरकार की कटु आलोचना की है।
किसानों पर पुलिस फायरिंग की जांच-पड़ताल के लिए अलीगढ़ गया भाकपा (माले) का दो सदस्यीय जांच दल घटनास्थल का दौरा कर आज लौट आया। इस दल में पार्टी की राज्य समिति के सदस्य अफरोज आलम और अखिल भारतीय किसाना महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रेम सिंह गहलावत शामिल थे।
जांच दल की रिपोर्ट आज यहां जारी करते हुए भाकपा (माले) के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने कहा कि अलीगढ़ में किसानों के आंदोलन पर दमन के खिलाफ 23 अगस्त को भाकपा (माले) पूरे प्रदेश में काला दिवस मनायेगी। इसी दिन माले और किसान महासभा के कार्यकर्ता अलीगढ़ डीएम कार्यालय पर प्रदर्शन करेंगे।
जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए माले राज्य सचिव ने कहा कि अलीगढ़ के जिकरपुर में किसान हत्या की दोषी मायावती सरकार जे0 पी0 ग्रुप जैसे पूंजीपतियों के पक्ष में काम कर रही है। जिकरपुर में शांतिपूर्ण किसान आंदोलन को दमन के बल पर खत्म कराने की मायावती सरकार ने जिस तरह से कोशिश की, वह शर्मनाक है। यदि किसान आंदोलन के प्रति यही रवैया रहा, तो अलीगढ़ से शुरू हुुआ आंदोलन मायावती सरकार के लिए ‘सिंगूर व नंदीग्राम’ साबित हो सकता है। माले राज्य सचिव ने कहा कि यमुना एक्सप्रेस वे, गंगा एक्सप्रेस वे, हाईटेक सिटी, माडल सिटी आदि के नाम पर किसानों की बिना सहमति लिये व बिना उचित मुआवजा दिये उनकी जमीन की हो रही लूट रोकने के लिए अंग्रेजी राज में बने 1894 के भूमि अधिग्रहण कानून व 2005 के ‘सेज कानून’ में आमूल परिवर्तन की जरूरत है। उन्होंने किसानों की मांगों के साथ एकजुटता प्रकट करते हुए फायरिंग के दोषी अधिकारियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की।
जांच रिपोर्ट का ब्यौरा देते हुए भाकपा (माले) राज्य सचिच ने बताया कि अलीगढ़ में टप्पल ब्लाक के जिकरपुर में यमुना एक्सप्रेस वे के किनारे सर्वदल किसान संघर्ष समिति के नेतृत्व में 27 जुलाई से किसानों का धरना चल रहा था। किसान इस क्षेत्र में बनाये जा रहे मॉडल टाउन के लिए अपनी जमीन देने को तैयार नहीं थे। उनका कहना था कि उन पर दबाव डालकर जमीन अधिग्रहण के समझौते कराये गये। उनकी सबसे बड़ी मांग थी कि इसी तरह की योजना में गौतमबुद्ध नगर (नोएडा) में दे वर्ष पहले ली गई जमीन का मुआवजा 870 रुपए प्रति वर्ग मीटर की रेट से दिया गया था, कम से कम वही रेट उन्हें भी दी जाये। सरकार व जेपी ग्रुप इसके लिए तैयार नहीं थे।
जांच रिपोर्ट के अनुसार 14 अगस्त की शाम पांच-छह बजे के बीच, टप्पल थानाध्यक्ष के नेतृत्व में सादी वर्दी में पुलिस बल व मुंह बांधे जेपी ग्रुप के गुण्डों ने किसानों के आंदोलन के नेता रामबाबू कटेलिया को धरना स्थल से उठा लिया। इसका विरोध कर रहे किसानों पर आंसू गैस के गोले व गोली चलायी गयी। जिसमें कई किसान घायल हुए। कटेलिया की गिरफ्तारी की खबर फैलते ही हजारों की तादाद में किसान धरना स्थल पर चारों तरफ से जुटने लगे। पीएसी ने किसानों पर फायरिंग कर दी। इसमें तीन किसानों की मौत हो गई। पीएसी का एक अधिकारी भी मारा गया। रात 11 बजे तक पुलिस-किसान संघर्ष होता रहा। अगले दिन बड़ी संख्या में जुटे किसानों ने पलवल-अलीगढ़ मार्ग जाम कर दिया। टप्पल से लेकर जट्टारी कस्बे दो दिन बंद रहे। मथुरा में भी आंदोलन फैल गया। घटनायें की जा रही है और सरकार बढ़ावा दे रही है। प्रवक्ता ने कहा कि अगर सरकार ने जल्द ही अपने दल के नेताओं पर अंकुश नहीं लगाया तो जनता सड़को पर उतरेगी।

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