Wednesday, August 18, 2010

कांग्रेस मोदी को बचाएगी ,भाजपा सरकार को

कृष्ण मोहन सिंह
नई दिल्ली।यूपीए की अध्यक्ष सोनिया की मनमोहनी सरकार अमेरिका व उसकी लाबी वाले देशों को लाभ पहुंचानेवाली परमाणु दायित्व बिल को संसद के इसी मानसून सत्र में पास कराने के लिए हर हथकंडा अपना रही है।क्योंकि उसको अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को भारत में आगवानी का तोहफा देना है।यह तभी संभव है जब ओबामा के आने के पहले ही बिल पास हो जाय। ओबामा के स्वागत में मनमोहन सरकार ने संसद का शीतकालीन सत्र समय से पहले ही बुलाने का लगभग निर्णय तो कर लिया है। सो उसके पहले इस मानसून सत्र में ही परमाणु दायित्व बिल पास कराने की जी – जान से कोशिश हो रही है। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेसी मैनेजरो ने इसके लिए साम-दाम-दंड-भेद हर तरह से प्रयास शुरू कर दिया है।सूत्रो का कहना है कि इससे संबंधित मंत्रालय के स्टैंडिग कमेटी की रिपोर्ट पर सरकार बहुत गौर नहीं करेगी। वैसे भी जो कमेटी के चेयरमैन हैं वह कांग्रेसी हैं और कहा जा रहा है कि इसमामले में वह कांग्रेस की ही लाइन लेने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। सूत्रो के अनुसार भाजपा की आडवाणी मंडली से कांग्रेसी संकटमोचक व मैनेजरों ने बात की है। अभी आगे भी बात होनी है।कहाजाता है कि सौदेबाजी चल रही है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा में परमाणु समझौते का सबसे बड़े विरोधी अरूण शौरी थे ,उनको लालकृष्ण आडवाणी ने कपट से किनारे लगा दिया,फिरसे राज्यसभा सांसद नहीं बनवाने दिया। क्योंकि अरूण शौरी ही थे जिन्होंने पार्टी की बैठक में परमाणु समझौते की तरफदारी कर रहे लालकृष्ण आडवाणी के सारे तर्कों को ध्वस्त करते हुए खुलकर विरोध किया था, और एक तरह से इस मामले में भी आडवाणी के दोहरे चरित्र को एक्सपोज कर दिया। परमाणु बिल तो जैसे-तैसे यूपीए-1 की मनमोहनी सरकार ने पास करा लिया।अब यूपीए-2 में परमाणु दायित्व बिल पास कराने के लिए सौदेबाजी शुरू हो गई है। भाजपा के कुछ नेताओं की 5 शर्तें हैं - (1) मनमोहन सरकार परमाणु दायित्व बिल में ही जोड़े की परमाणु रियेक्टर लगाने का काम केवल सरकार व उसकी सम्पूर्ण प्रभूत्ववाली कम्पनियां करेंगी , किसी प्राइवेट कम्पनी को इस क्षेत्र में प्रवेश नहीं दिया जायेगा। (2) दुर्घटना होने पर लोकलबाडी से हर्जा खर्चा का व्यौरा लेकर उसके आधार पर हर्जाना देने, और वह भी 500 करोड़ रुपए से कम में ही निपटा देने का जो बैरियर है उसे खत्म किया जाय। (3) हर्जाने आदि की अतिअधिकतम सीमा 2000 करोड़ रुपए . वाला बैरियर खत्म किया जाय। (4) जोभी अमेरिकी या विदेशी कम्पनी परमामाणु रियेक्टर मशीन सप्लाई करे , परमाणु दुर्घटना होने पर उसको भी जिम्मेदार बनाया जाय। (5)अमेरिका में जिस तरह नियम है कि कोई भी परमाणु रियेक्टर आधरित प्लांट स्थापित करने के पहले एक लाख करोड़ रू से अधिक का गारंटी बांड भरवाया जाता है वही नियम भारत में भी लागू किया जाय, ताकि दुर्घटना होने पर कम्पनी के उस रकम से दुर्घटना के प्रभावितों को मुआवजा आदि दिया जा सके ,पर्यावरण में हुए प्रदूषण को दूर करने का उपक्रम हो सके।
सूत्रों के मुताबिक अमेरिका व उसकी लाबी वाले देशों को खुश करने के लिए किसी भी हद तक चले जाने वाले मनमोहन सिंह अमेरिकी दबाव में यह सब नहीं करेंगे। यानी भाजपा की ये शर्तें मनमोहन सरकार नहीं मानेगी। इसमें से एक- दो इधर –उधर करके बिल पास करवालेने की योजना है। सूत्रो का कहना है कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को सोहराबुद्दीन ,कौसरबी व अन्य मामलों में सीबीआई से बचाने के लिए भाजपा के जो नेता रात दिन एक किये हुए हैं,उनके पुरोधा से कांग्रेसी संकटमोचकों की बात हो गई है। कहा जाता है कि इशारे-इशारे में सौदेबाजी की बात चल रही है-कांग्रेस मोदी को सीबीआई से बचाये तब बदले में भाजपा परमाणु दायित्व बिल पास करायेगी।

1 comment:

honesty project democracy said...

इस देश को बरबाद करने में कांग्रेस सबसे आगे है तो बीजेपी उसे इस काम में सहयोग करने में सबसे आगे ,ये दोनों ही पार्टियाँ बेकार और बकबास लोगों से भरी परी है जो कुछ अच्छे लोग थे उनको या तो ठिकाने लगा दिया गया है या उनकी अब कोई भी नहीं सुनता है ,इस देश की जनता का दुर्भाग्य है की ऐसी पार्टियाँ उनका नेतृत्व कर रही है ...