Friday, August 13, 2010

काशी में भी विभूति हटाओ का नारा

विजय विनीत
वाराणसी ,अगस्त।छिनाल प्रकरण पर अब पूर्वांचल में भी विरोध तेज हो गया है।वाराणसी में ढाई सौ लेखकों ने विभूति नारायण राय के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान चलाया , बैठक की और राष्ट्रपति से इस मामले में न्यायिक जाँच करा कर उन्हें बर्खास्त करने की मांग की । ज्ञानोदय पत्रिका के 10 अगस्त के बेवफाई सुपर बेवफाई विशेषांक में विभूति नारायण राय, कुलपति, महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर 12 अगस्त मध्यान्ह हिन्दी विभाग, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के सभा कक्ष में काशी के सभी विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों साहित्यिक सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों का कल एक सम्मेलन आयोजित किया गया। हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो श्रद्धानन्द सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए राय द्वारा महिलाओं के लिए अमर्यादित तथा अशोभनीय करार दिया। हिन्दी में इस प्रकार के विवादों तथा टिप्पणियों के विरुद्ध सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग की। सभा में संचालन का दायित्व प्रो सत्यदेव त्रिपाठी को दिया गया। उन्होंने इस विषय पर चर्चा की शुरुआत कराई।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के प्राध्यापक डा0 रामाज्ञा राय ने राय की टिप्पणी को स्त्रियों के विरुद्ध अशोभनीय और अमर्यादित कहा। उन्होंने श्री राय को शासन से तत्काल बर्खास्त करने की मांग की। साहित्यकार डा0 वाचस्पति ने वक्तव्य की निन्दा करते हुए कहा यह अमर्यादित वक्तव्य है। उन्होंने विष्णु खरे के पूर्वांचल के साहित्यकारों को ‘हुडुक लूलू’ लिखने की भी निन्दा की।
उर्दू लेखिका प्रो शाहिना रिजवी ने कहा कि राय की महिलाओं को छिनाल कहने की टिप्पणी बेहद घटिया है। इसके लिए उन्हें कड़ा दंड मिलना चाहिए। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रो और कवि बलराज पाण्डेय ने अपने वक्तव्य में कहा कि मैं राय की टिप्पणी की निन्दा करता हूँ। उन्होंने कुछ हिन्दी के पत्रिकाओं के सम्पादकों पर कुछ महिला लेखिकाओं को अयोग्य रहते हुए आवश्यकता से अधिक सह देकर प्रमोट करने का आरोप भी लगाया। उन्होंने हिन्दी साहित्य में घटिया लेखन पर चिंता जताई।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की डा0 चन्द्रकला त्रिपाठी ने कहा कि महिलाओं के ऊपर श्री राय की यह अमर्यादित टिप्पणी कत्तई बर्दाश्त नहीं की जायेगी। उन्होंने मांग की कि राय को केन्द्रीय सरकार उनके पद से तत्काल बर्खास्त करे ताकि भविष्य में यह दुबारा दुहराया न जाए। प्रो0 चम्पा सिंह और डा0 श्रद्धा सिंह ने श्री राय की टिप्पणी को अपमान जनक और दुर्भाग्यपूर्ण बताया। युवा कवि व्योमेश शुक्ल ने कहा कि राय की टिप्पणी महिला विरोधी है। समूचे स्त्री समाज को अपमानित करना चिंताजनक है और उन्हें सरकार को तत्काल पद से बर्खास्त करना चाहिए। साहित्यकार दीनबन्धु तिवारी और और डा0 वशिष्ट नारायण त्रिपाठी ने वक्तव्य को घटिया और दुर्भाग्यपूर्ण बताया। काशी विद्यापीठ के पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो सुरेन्द्र प्रताप ने कहा कि राय का वक्तव्य स्त्री अस्मिता और स्त्री विमर्श के विरुद्ध है। स्त्री को छिनाल कहना उनकी सामंती, बर्बर और घटिया मानसिकता का प्रतीक है। उन्होंने राष्ट्रपति से इसकी न्यायिक जाँच कराकर उन्हें तत्काल पद से बर्खास्त करने की माँग की।
सभा में डा0 चतुर्भुज तिवारी, डा0 योगेन्द्र सिंह, डॉ0 रामआसरे यादव, विनीता सिंह, सिद्धार्थ राय ने भी विचार व्यक्त किया। सभा की आम राय यह रही कि स्त्र्ाियों का अपमान और असंसदीय टिप्पणी के कारण कुलपति का पद कलंकित हुआ है। ऐसी स्थिति में भारत सरकार तत्काल प्रभाव से श्री राय को बर्खास्त कर न्यायिक जांच कराए अन्यथा उनके विरुद्ध शिक्षकों-साहित्यकारों का आन्दोलन जारी करेगा। श्री राय के कारनामों के विरुद्ध पूर्वांचल में व्यापक स्तर पर हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है, जिसे राष्ट्रपति तथा मानव संसाधन मंत्रालय को प्रेषित किया जायेगा। सभा के अन्त में संयोजक प्रो0 सत्यदेव त्र्ािपाठी ने इस अभियान को आगे जारी रखने का संकल्प लिया और आगन्तुओं का धन्यवाद ज्ञापित किया।पूर्वांचल के साहित्यकारों द्वारा 250 हस्ताक्षर करके मानव संसाधन मंत्री और राष्ट्रपति को शीघ्र ही प्रेषित किया जाएगा ।

1 comment:

चिट्ठाप्रहरी टीम said...

अच्छी प्रस्तुती के लिये आपका आभार


खुशखबरी

हिन्दी ब्लाँग जगत के लिये ब्लाँग संकलक चिट्ठाप्रहरी को शुरु कर दिया गया है । आप अपने ब्लाँग को चिट्ठाप्रहरी मे जोङकर एक सच्चे प्रहरी बनेँ , कृपया यहाँ एक चटका लगाकर देखेँ>>