Thursday, August 19, 2010

आसमान से बरसती मौत






राजकुमार शर्मा
देहरादून.देवभूमि हिमालय में इन दिनों आकाश से मौत की बारिश हो रही है.बादल फटने से हो रही लगातार मौत का सिलसीला रूकने का नाम नही ले रहा है.प्रदेश में लोगों को सरकार के राज्य आपदा प्रबन्धन विभाग की कार्यप्रणाली से खासा आक्रोश बढ़ रहा है.उसी में राज्य के मुख्यमंत्री का आपदा ग्रस्त क्षेत्र में जा कर सरकारी मशीनरी को प्रबन्धन के कार्य से ब्यवधान पैदा कर अपनी राजनीति की रोटी सेकने की घटनायें जनता के जले पर नमक डालने का काम कर रही है.सूबे की सरकार ने स्वंय यह कानून बना रखा है कि कोई वीआईपी आपदा के स्थिति में सब कुछ ठीक होने के पूर्व उस इलाके में न जाए .सरकार भी मानती है कि ऐसी स्थिति में वीआईपी के क्षेत्र में जाने से आपदा प्रबन्धन में भारी बाधा उत्पन्न होती है.
बागेश्वर के कपकोट तहसील के सौंग-सुमगढ़ में बादल फटने से भारतीय शिशु मंदिर के 18 बच्चें बादल फटने से हुई बारिश से आए मलबें में विद्यालय में जिन्दा दफन हो गये थे.इस घटना में चौदह बच्चों को सुरक्षित बचा लिया गया,इसमें सात गम्भीर रूप से घायल है.इसमें एक स्कूल की शिक्षिका भी शामिल हैं. इस घटना के घटित होने के बाद गांव के लोगों के अथक प्रयास से देर शाम तक मात्र आठ बच्चों के शव को निकाला जा सका.घटना के दूसरे दिन ही सूबे के मुख्यमंत्री डा.रमेश पोखरियाल निंशक ने जिस तरह प्रभावित क्षेत्र में जाने की गलती किया उससे लोगों में नाराजगी है,जानकारों का मानना है कि उनके क्षेत्र में आने से प्रबन्धन में भारी असुविधा हुई. प्रशासनिक अमला माननीय निंशक के आवभगत में ब्यस्त रहा.इस घटना में जिंदा दफन होने वाले सभी मासूम कक्षा एक से चार तक के छात्र थे.इस शिशु मंदिर में पढ़ने वाले बच्चों के लिए बुधवार का दिन मौत का दिन सिद्ध हुआ.इस घटना के बारे में प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि साठ डिग्री पहाड़ी के नीचे स्थित स्कूल के पीछे बादल फटने से विद्यालय की दीवार ढ़ह गयी.जिसमें रमेश गड़िया,मुन्ना टाकूली,चन्द्रशेखर जोशी,नेहा दानू, खीम सिंह देवली,उर्मिला मिश्रा,तारा सिंह,दीपा कुमल्टा,योगिता मिश्रा,भारती जोशी,पंकज दानू,प्रेमा पांडया,खुसबू जोशी,मनीषा दानू,करन पाठक,प्रीति कुमल्टागोरव मिश्रा,तथा मोहित जोशी जिंदा दफन हो गये.इस घटना में सात बच्चे गम्भीर रूप से घायल है तथा 14 पुरी तरह सुरक्षित बताये गये हैं.इस घटना में सबसे अधिक क्षति नन्द किशोर मिश्रा की हुई जिसमें उनकी दो होनहार बेटीयों के साथ एक होन हार लाल खो दिया.इस विद्यालय की शिक्षिका थपेश्वरी डायराकोटी को भी चोट आयी.घटना के दिन विद्यालय में कुल 39 छात्र उपस्थित थे.बादल फटने की घटना दिन के 9.27 बजे घटी वर्षा का कहर इस क्षेत्र में इस कदर टूटा है कि इस क्षेत्र को जोड़ने वाले पुलों के बह जाने से पुरे इलाके का सम्पर्क सुमगढ़ गांव से कट गया,इस इलाके में पहुंचने के लिए बचाव दल एंव प्रशासन को चार किलोमीटर पैदल खतरनाक मार्ग से गुजर कर जाना पड़ा.भगवान के लगातार बारिश का कहर जारी रखने से बचाव में लगें लोग बेबस दिखें.इस जनपद में आपदा प्रबन्धन की जितनी बदतर हालत देखने को मिली उससे इस आपदा में फंसे कई लोगों को जिन्दा निकालने की उम्मीद ध्वस्त हो गयी.पुरा प्रशासन विना किसी प्रशिक्षण के साधन हीनता के साथ दिखा जिससे गांव वालों को जो यह उम्मीद थी कि प्रशासन आयेगा तो कुछ बच्चों को और भी जिंदा निकल पायेगा,यह सब उपकरण साधन के अभाव में नही हो सका.घटना के दिन से इस इलाके का संचार साधन भी पुरी तरह ध्वस्त हो गया.इलाके को संचारमाध्यम से पुरी तरह कटने से भी बचाव दल को भारी परेशानी हुई.सरकार ने जब यह देख लिया कि जिले का आपदा प्रबन्धन बिभाग पुरी तरह असफल है तो उसने आईटीबीपी के 150 जवानों को शवों को निकालने के लिए भेजा.क्षेत्र के लोग इन जवानों से अपने दबे पड़े बच्चों को जिन्दा निकलने की उम्मीदें थी,आपदा प्रबन्धन की असफलता के कारण ऐसा नही हो सका.आपदा पीड़ित गांव में पहुंच कर घटना के दूसरे दिन मुख्यमंत्री ने मृतक के परिजनों को एक लाख रूपये की धन राशि का चेक एंव घायलों को 25-25हजार रूपये प्रदान किया.मुख्यमंत्री स्वंय पहले एक शिशु मंदिर में प्रधानाचार्य रहे है इस लिए उन्होंने मारे गये लोगों से मिल कर अपनी गहरी संम्बेदना ब्यक्त की.देवी आपदा में जिस तरह के मदद की उम्मीद राज्य की जनता को राज्य के गठन के साथ थी उस पर सरकार के आपदा प्रबन्धन मंत्रालय के खरा न उतरने से लोगों के राज्य गठन की अपेक्षा पर पुरी तरह पानी फिर गया हैं.इस वर्ष ही इस राज्य में दैवी आपदा के चलते छःदर्जन से अधिक लोग काल के गाल में समा चुके है.सूबे की जनता अपने इन नेताओं के गाल बजाने झूठी बयानबाजी करने से तंग आ चुकी है.
बादल फटने की घटना हिमालयी राज्य उतराखंड में कोई नई नही है.सन1971 में जुलाई में धारचूला में बादल फटने की घटना घटी थी जिसमें एक दर्जन लोग मारे गये थे.1979 में तवाघाट में बादलफटे जिसमें 22 ग्रामीण काल के गाल में समा गये.1983में पुनः कर्मी,बागेश्वर में बादल फटे जिसमें 37 लोग मारे गए .जुलाई 1995 में रैतोली में बादल फटे जिसमें 16 लोग मारे गये.1999 में अगस्त माह में ही घटी भिषण विभिषिका को लोग कभी भूल नही सकते जिसमें 109 लोग काल के गाल में समा गये थे.जलाई 2000 में बादल फटने की घटना खेतगांव में घटी जिसमें 5 लोग मारे गए .उत्तराखण्ड राज्य के गठन के बाद 2002 में घटी बाल गंगा घाटी टिहरी की घटना में 29 लोग मारे गये थे.21जुलाई 2003 में डीडीहाट में घटी घटना में चार लोग जिंदा दफन हो गये थे.6जुलाई 2004 को घटी घटना में लामबगढ़ की घटना में 7 लोग मारे गये थे.12जुलाई 2007 देवपुरी में घटी घटना में आठ लोग मारे गये थे.इसी वर्ष 5सितम्बर 2007 को प्रकृति ने आपदा को दोहरा दिया और बरम,धारचुला में घटी घटना में 10 लोग मारे गये.इस वर्ष तो तीसरी घटना भी घटी जिसमें 6 सितग्बर 2007 को घटी लधार,धारचूला की घटना में पांच लोग मारे गये.17 जुलाई 2008 में अमरूबैंड में घटी घटना में 17 लोग मारे गये थे.राज्य गठन के बाद 8 अगस्त 2009 को पिथौरागढ़ के ला-झकेला में एक बार फिर मौत की बारिश ने मानवता को रूला दिया.इस घटना के बाद भी पूर्व मुख्यमंत्री जनरल खंण्डूडी ने घटना स्थल पर पहुंचने की भूल की थी जिससे बचाव राहत कार्य में भारी परेशानी आई थी.जो गलती भवुकता में जनरल ने किया था उसे एक बार बागेश्वर में दोहरा कर मुख्यमंत्री निंशक ने जनता के लिए परेशानी बढ़ा दी.
अभी एक सप्ताह पूर्व की घटना में अल्मोड़ा में एक बस के खाई में गिरने से 10 लोगों की मौत हो गयी थी हल्दानी में उसी दिन चार लोग एक दुर्घटना में मारे गए थे.अतिवर्षा की आफत से पुरा राज्य इन दिनों तंग है.अलकनन्दा में तीन जगह नेशनल हाईवे बादल फटने के कारण ध्वस्त हो गया था जिसके चलते कई हजार यात्री बुरी तरह फस गये थें.विष्णुप्रयाग के समीप पहाड़ी के ध्वस्त होने से मार्ग अवरूद्ध हो गया था. अति वर्षा से लामबगड़ के समीप 150 मीटर राज मार्ग ध्वस्त हो गया था.कंचनगंगा में बादल फटने से राजमार्ग बन्द हो गया था स्वतंत्रता दिवस के विहान जिस तरह वर्षा एंव बादल आफत बन कर आये उससे पुरा प्रदेश का जनमानस तंग है.गंगोत्री मार्ग पर हुई भू धसाव की घटना से भटवाड़ी के दर्जनों लोग बे घर हो गये.इस मामले में 3000 लोग प्रभावित हुए.जिसमें 2.25 करोड़ रूपये की जन संम्पक्ति की हानी हुई.राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने दैवी आपदा में तंग एंव पिड़ितों के प्रति गहरी संम्बेदना ब्यक्त की है.राज्य के प्रतिपक्ष के नेता हरक सिंह रावत मुख्यमंत्री द्वारा दैवी आफत पर राजनीति की रोटीयां सेकने पर गहरी नाराजगी जताते हुए कहा कि सरकार को ईमानदारी से जनता की सेवा एंव आपदा प्रबन्धन से पुरी तैयारी करके करनी चाहिए.उन्होंने मौसम की सूचनाओं के आधार पर भारी वर्षा वाले इलाके में तेज वर्षा से स्कूली बच्चों को आफत से बचाने
के लिए स्कूल कालेज बन्द रखने का आदेश देने को कहा है.

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