Friday, August 20, 2010

गले की हड्डी बना किसान आंदोलन

अंबरीश कुमार
लखनऊ, अगस्त। अलीगढ में टप्पल के जिकरपुर गाँव में चल रहा किसान आंदोलन मुख्यमंत्री मायावती के गले की हड्डी बन गया है । इसका राजनैतिक असर पूरे प्रदेश में पड़ रहा है जो सरकार और बसपा दोनों के लिए खतरे की घंटी है। किसानो की पंचायत में आज साफ कहा गया कि खेत उजाड़ कर सड़क नहीं बनने दी जाएगी । जब तक राज्य सरकार किसानो की मांगे नहीं मानती धरना जारी रहेगा ।आज दिन में करीब पच्चीस हजार किसानो की सभा में महेंद्र सिंह टिकैत ,कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ,प्रमोद तिवारी और भाकपा के राज्य सचिव डाक्टर गिरीश आदि बोले और सभी ने किसान आंदोलन का समर्थन किया । कल अमर सिंह के आलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई किसान संगठन के प्रतिनिधि भी पहुच रहे है । आज यह भी कहा गया की यहाँ के किसान कही नहीं जाएंगे जिस नेता को समर्थन करना हो वह टप्पल आए। यह एलान नौ गांवों के किसानो की ६१ सदस्यों वाली किसान संघर्ष समिति ने किया जिसके संयोजक मनवीर सिंह तेवतिया है । इस बीच कन्नौज , उन्नाव ,महोबा ,फतेहपुर के साथ लखनऊ में लीडा के खिलाफ खड़े हुए किसान सक्रिय हो गए है । पूर्वांचल में गंगा वे के खिलाफ आंदोलन करने वाले भूमि बचाओ मोर्चा के नेताओं ने अलीगढ के किसानो के समर्थन में राज्यपाल के नाम एक ज्ञापन बलिया ,गाजीपुर और मउ के कलेक्टर को सौंपा । इनका एक प्रतिनिधिमंडल आज टप्पल के लिए रवाना हो गया ।
उधर टप्पल में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने किसानो से कहा कि कांग्रेस पार्टी उनके आंदोलन के साथ है ।कांग्रेस ने हमेशा किसानो का साथ दिया है हरियाणा का उदाहरण सामने है । भूमि अधिग्रहण कानून बदला जाएगा और किसान की जमीन का जबरन अधिग्रहण नहीं होने दिया जाएगा । दिग्विजय ने जब यह कहा कि किसान दिल्ली आए राहुल गाँधी से उन्हें मिलवाया जाएगा । इस पर किसानो का एक खेमा बिगड़ गया और नारेबाजी होने लगी । धरना पर नारा गूंजा - राहुल चाहिए ,धरने पर । बाद में बताया गया कि सुरक्षा वजहों से जिस जगह संभव होगा राहुल गाँधी खुद किसानो से मिलेंगे । किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत ने कहा - शहर की दवा और गाँव की हवा बराबर होती है । अब गाँव में शहर बनने का क्या मतलब । खेत उजाड़कर किसान की जमीन नहीं लेने देंगे ।जमीन का जो मुआवजा एक जगह सरकार दे चुकी है उसे दूसरी जगह भी देना होगा ।
टिकैत ने राजनैतिक दलों को भी आगाह किया कि वे किसानो का साथ दे पर किसान के नाम पर राजनीति न करे । इशारा साफ़ था कि बिना किसान संगठनो को भरोसे में लिए राजनैतिक दल खुद कोई कार्यक्रम का एलान न करे । किसान संगठन के बीच यह भी विचार आया है कि इस सिलसिले में आंदोलन का नेतृत्व किसान संगठनो की संघर्ष समिति करे न की राजनैतिक दल ।
धरना पर बैठे किसानो को संबोधित करते हुए भाकपा नेता डाक्टर गिरीश ने कहा -कांग्रेस , भाजपा और सपा अपने शासनकाल में किसानो के हित के साथ खिलवाड़ करती रही है और अब घडियाली आंसू बहा रही है ।किसान इनसे सावधान रहे । उन्होंने यह भी कहा कि अब मुआवजा की मांग छोड़ कर उपजाऊ जमीन बचने की लड़ाई लड़नी चाहिए । गिरीश ने एलान किया कि भाकपा २८ अगस्त को अलीगढ और ३० अगस्त को प्रदेश भर में इस मुद्दे को लेकर धरना प्रदर्शन करेगी ।
इस बीच अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा ने किसानों को धोखा देकर उनकी जमीनें व्यवसायिक रेट से बेहद कम दाम पर जबरदस्ती छीनने के लिए मायावती सरकार की कड़ी निन्दा की है। ग्रेटर नाएडा में 880 रुपए वर्ग मीटर का रेट दिया गया, आगरा मे 580 रुपए का, अलीगढ़ व मथुरा में 570 रुपए का और करछना में केवल 120 रुपए वर्ग मीटर तथा लहोगरा बारा में केवल 60 से 120 रुपए वर्ग मीटर का। राज्य सरकार का करछना व बारा के इन इलाकों में स्टाम्प ड्यूटी का व्यवसायिक रेट है 2600 रुपए वर्ग मीटर। एआईकेएमएस ने केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा 1894 के अग्रेजों के भूमि अधिग्रहण कानून के अमल व इसके तहत किसानों के विस्थापन की आलोचना की है। बसपा पूरे उत्तर प्रदेश में कुल 23000 गांवों की जमीनें हाईवे, हाई टेक सिटी, शापिंग माल बनाने के लिए कब्जा करना चाहती हैं, जो प्रदेश के कुल करीब एक लाख गांवों के एक चौथाई हैं। इससे निश्चित रूप से प्रदेश व देश में खाद्य संकट बढ़ेगा। दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी ने आरोप लगाया क्योकि बसपा सरकार भयादोहन और छलप्रपंच के जरिए किसानों में फूट डालकर उनके आंदोलन के बारे में भ्रम फैलाने में लगी है। किसान आंदोलित हैं और अपनी जमीन तथा रोजी रोटी की लड़ाई लड़ रहे है । यह सरकार उनकी जमीन छीनकर उनको बेरोजगार और बेघर करने पर तुली है। पार्टी प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि सरकार को यह भी परवाह नहीं कि खेती की जमीन छिन जाने पर खाद्य समस्या का क्या होगा? इस सरकार की जन विरोधी नीतियों के चलते किसान लुट रहा है। समाजवादी पार्टी ने साफ़ कर दिया है कि गरीबों का खेत उजाड़कर सड़क और शहर का निर्माण नहीं होने दिया जाएगा। किसान अब पूरे प्रदेश में एकताबद्ध ढंग से आंदोलित है। किसानों ने अब तक सरकारी बहकावे में आकर समझौता नहीं किया है। मुख्यमंत्री ने चूंकि उद्योग समूह जेपी से अपना मोटा कमीशन पहले ही ले रखा है इसलिए वे किसानों में फूट डालकर राज करो की पुरानी अंग्रेजोवाली नीति अपना रही हैं। उनके अफसर पंचम तल का प्रशासनिक काम छोड़कर किसानों को आंतकित करने पटाने और भरमाने के काम में लग गए।

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