Thursday, October 16, 2008

मायावती से अब सर्वजन का मोहभंग

अंबरीश कुमार 

लखनऊ, अक्टूबर। बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती का दिल्ली का रास्ता दूर होता नजर आ रहा है। बहुजन और सर्वजन की नाव पर सवार होकर सत्ता में आई मायावती से अब सर्वजन का मोहभंग होना शुरू हो गया है। रायबरेली में रेल कोच फैक्ट्री के लिए जमीन वापस लेना, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की जनसभा कानून व्यवस्था के बहाने रद्द करवा देना और सोनिया गांधी पर नाटक करने का आरोप आदि कुछ उदाहरण हैं जिसके चलते पिछले एक हफ्ते में मायावती की छवि को दागदार बना दिया है। अब वे लोग मायावती के खिलाफ नजर आ रहे हैं जो कल तक उनके धुर समर्थक थे। चाहे पीएचडी चैम्बर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री की प्रदेश इकाई हो या फिर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी जो मायावती सरकार का समर्थन करती रही है, इस मुद्दे पर उनके खिलाफ खड़ी हो गई है। यही प्रतिक्रिया शिक्षा जगत से लेकर समाज के अन्य प्रबुद्ध तबकों से मिल रही है। यह सर्वजन है जिसकी मदद से ही मायावती दिल्ली की गद्दी पर बैठ सकती हैं। इसके अलावा जिलों-जिलों से मिल रही खबरों से साफ है कि मायावती का करिश्मा अब उतार पर है। यह बसपा के लिए खतरे की घंटी भी है जो ‘यूपी हुई हमारी है-अब दिल्ली की बारी है’ का नारा उछाले हुए है।
बुधवार को मायावती की प्रेस कांफ्रेंस में उनके तेवर से साफ था कि वे बचाव की मुद्रा में हैं। मायावती ने ढेर सारे तर्क दिए पर यह किसी के गले नहीं उतर पाया कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की जनसभा क्यों रद्द करवा दी गई। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मायावती का समर्थन कर रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता अशोक मिश्र ने कहा,‘रायबरेली में जिस तरह रेल कोच फैक्ट्री की जमीन वापस ली गई और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की जनसभा कानून व्यवस्था के नाम पर रद्द कर दी गई, उसका कोई भी समङादार व्यक्ति समर्थन नहीं कर सकता। मायावती जब सत्ता में आई थी तो वे राष्ट्रीय राजनीति में आगे बढ़ती नजर आ रही थीं। पिछले कुछ दिनों से उनका राजनैतिक ग्राफ स्थिर नजर आता था पर अब इस घटना के बाद वह पीछे जता नजर आ रहा है।’ दूसरी तरफ पीएचडी चैम्बर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री की प्रदेश इकाई के चेयरमैन शिशिर जयपुरिया ने कहा-राज्य सरकार के इस फैसले से उद्योग जगत को तगड़ा ङाटका लगा है। इस घटना के बाद कोई भी उद्यमी सोच-समङाकर प्रदेश में निवेश करेगा।
सीआईआई के प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अमिताभ नागिया ने कहा-इस फैसले से रायबरेली के लोगों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। इसका राजनैतिक संदेश दूरगामी होगा जबकि ऐसोचैम के महासचिव एसबी अग्रवाल ने कहा-यह फैसला उद्यमियों का मनोबल तोड़ने वाला है जिससे प्रदेश का विकास प्रभावित होगा। यह प्रतिक्रियाएं उद्योग जगत की थी। पर इसका सबसे ज्यादा असर राजनैतिक दलों और बुद्धिजीवियों पर पड़ा है। लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर प्रमोद कुमार उन लोगों में शामिल हैं जिन्होंने सबसे पहले मायावती के सत्ता में आने की आहट को महसूस किया था और कहा था। प्रमोद कुमार ने कहा,‘मायावती के कौन राजनैतिक सलाहकार हैं, यह हमें नहीं पता लेकिन पिछले एक हफ्ते में जो घटनाएं हुई हैं, उससे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का कद और बढ़ा और मायावती की छवि धूमिल हुई है। शिक्षकों और छात्रों के बीच तो यही प्रतिक्रिया है। मायावती जसी नेता से न्यूनतम राजनैतिक शालीनता की उम्मीद जो लोग कर रहे थे, उनका मोहभंग हो गया है। यही वह सर्वजन है जिसकी पीठ पर सवार होकर मायावती को दिल्ली तक जना है।’
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा-मायावती ने १८ महीने के अपने शासन में प्रदेश को १८ साल पीछे ढकेल दिया है। रायबरेली की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे सब की आंखें खुल गई। वैसे भी मायावती के राज में न अल्पसंख्यक सुरक्षित है और बहुसंख्यक। किसानों का शोषण हो रहा है। जिले-जिले में उगाही की मुहिम चल रही है। यही वजह है कि हमारी पार्टी इसका प्रतिकार करने के लिए २१, २२ और २३ अक्टूबर को पूरे प्रदेश में डेरा डालो, घेरा डालो कार्यक्रम करने ज रही है।
मायावती सरकार की उपलब्धियों से ज्यादा अब उनकी नाकामियों पर चर्चा हो रही है। मुख्यमंत्री कार्यालय पंचम तल हर कुछ दिन में कोई न कोई सांप सीढ़ी की तर्ज पर ऊपर से नीचे ढकेल दिया जता है। पहले शलेश कृष्ण गए और अब कैबिनेट सचिव शशांक शेखर सिंह को लेकर सत्ता के गलियारे में चर्चा तेज है। सत्ता के केन्द्र में अब नए अफसर विजय शंकर पांडे आ गए हैं। मायावती के लिए मीडिया को संभालने की जिम्मेदारी भी इन्हीं पर है। हालांकि बसपा का पुराना नारा रहा है कि बहुजन पर मीडिया का कोई असर नहीं पड़ता है इसलिए मीडिया की वे परवाह भी नहीं करते। पर सर्वजन के जुड़ने के बावजूद इस सिद्धांत में कोई बदलाव नहीं आया है। मीडिया का सबसे ज्यादा असर सर्वजन पर पड़ता है। यह बात बसपा के सिपहसालार नहीं समङा पा रहे हैं। पिछले पांच दिन की राजनैतिक घटनाओं की मीडिया कवरेज से सबसे ज्यादा असर सर्वजन पर पड़ा है। यह मायावती के लिए दिल्ली का रास्ता दूर कर सकता है।
(साभार- जनसत्ता)

  

No comments: