Friday, February 13, 2009

पत्रकारों पर लाठिया,कई घायल


अंबरीश कुमार
लखनऊ , फरवरी। खबरों की कवरेज पर गए पत्रकारों की आज यहां सीबीआई कोर्ट में पुलिस ने बर्बरता से पिटाई की। कल ही शिक्षकों की पुलिस ने धुनाई की थी। इससे पहले वाराणसी बम धमाकों के आरोपी वलीउल्लाह को जब अदालत में पेश किया गया तो कुछ वकीलों ने उसकी पिटाई की और पत्रकार जब बीच में आए तो उनकी भी ठुकाई की गई। आज की घटना लखनऊ के सीबीआई कोर्ट परिसर में हुई जहां माफिया डान बबलू श्रीवास्तव पेशी पर आया था। पेशी के दौरान ही बबलू श्रीवास्तव के समर्थकों और पुलिस के बीच कुछ कहासुनी हुई जिसके बाद एडीशनल एसपी परेश पांडेय ने बबलू श्रीवास्तव के समर्थकों की पिटाई शुरू करवा दी। बीच में कुछ पत्रकारों को जनबूङाकर निशाना बनाया गया और उन्हें भी लाठियों से पीटा गया। इस घटना में जिन पत्रकारों को चोट आई, उनमें जी न्यूज के आलोक पांडे, आईबीएन ७ के परवेज, लाइव इंडिया के मंजुल, वाइस आफ इंडिया के तारिक और स्टार न्यूज के कैमरामैन प्रेम सिंह शामिल हैं। इस घटना से पत्रकार काफी उत्तेजित हुए और वित्त मंत्री लालजी वर्मा की बजट के बाद हुई प्रेस कांफ्रेंस का बायकाट कर दिया।
स्टार न्यूज के पत्रकार पंकज ङा के मुताबिक इस घटना में वाइस आफ इंडिया के पत्रकार तारिक के टूटे हाथ के प्लास्टर पर भी लाठी चलाई गई जिससे उसका प्लास्टर टूट गया। चश्मदीदों के मुताबिक सीबीआई कोर्ट में जसे ही माफियाडान बबलू श्रीवास्तव पेशी पर पहुंचा, टीवी पत्रकारों की टीम उसकी तरफ लपकी। यह देखते ही एडीशनल एसपी परेश पांडेय ने कहा-यही साले सब हीरो बना देते हैं। आज किसी को भी अंडरट्रायल से बातचीत नहीं करने दी जएगी। इस पर कुछ पत्रकारों से विरोध जताते हुए कहा कि वे हमेशा से बातचीत करते आए हैं। इस पर पांडेय उत्तेजित होकर चिल्लाने लगा और बोला-अभी तक जो करते आए हो, करते आए हो, अब नहीं करने दूंगा। इस पर जसे ही पत्रकार आगे बढ़े, परेश पांडेय लाठी लेकर दौड़े और उनके पीछे दूसरे पुलिस वालों ने भी पत्रकारों की पिटाई शुरू कर दी। इस मामले में परेश पांडेय को देर शाम ट्रांसफर कर दिया गया और बाजर खाला और कैसरबाग सीओ के साथ पांडेय के खिलाफ जंच के आदेश दे दिए गए।
इससे पहले इस घटना को लेकर पत्रकारों के बीच में आए कैबिनेट सचिव शशांक शेखर सिंह से भी टकराव हुआ। पत्रकार एडीशनल एसपी परेश पांडेय को हटाने की मांग कर रहे थे। बाद में सरकार ने पांडेय को हटाने का एलान किया। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में मायावती की सरकार आने के बाद से पत्रकारों का उत्पीड़न कम नहीं हो रहा है। गोरखपुर प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष और आईबीएन सेवन के वरिष्ठ पत्रकार शलभमणि त्रिपाठी ने कहा-आए दिन पत्रकारों को निशाना बनाया ज रहा है। जहां भी मौका मिलता है, सरकार के अफसर पत्रकारों को फर्जी मामलों में फंसाने से लेकर जलील करने तक में पीछे नहीं रहते। पुलिस का रवैया तो और भी खराब है। आज जिस अधिकारी को लेकर टकराव हुआ, उसका व्यवहार पहले से ही बेकाबू था।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश का सूचना विभाग के कुछ अफसर पत्रकारों को जलील करने में पीछे नहीं हैं। इनमें सबसे ऊपर नाम सूचना विभाग के एक बददिमाग अफसर एके उपाध्याय का है। इस अफसर के व्यवहार से कई पत्रकार बुरी तरह नाराज हैं। आज कबीना मंत्री अनंत कुमार मिश्र को भी इसकी अनौपचारिक जनकारी कुछ पत्रकारों ने दी। जिसके कुछ देर बाद ही सीबीआई कोर्ट में हुई घटना ने पत्रकारों को और उत्तेजित कर दिया।
समाजदी पार्टी ने पत्रकारों पर पुलिसिया कार्याई की घोर निन्दा की है। सपा ने कहा है कि प्रदेश की राजधानी में सीबीआई कोर्ट में पत्रकारों पर हुए लाठीचार्ज ने एक बार फिर यह स्थापित कर दिया है कि मायाती सरकार को न तो प्रेस की स्तंत्रता से मतलब है, न मानाधिकारों से और नहीं उसमें सम्यता का कोई अंश शेष है। यह पूर्णतया निरंकुश, फासिस्ट तथा तानाशाह सरकार है जो पुलिस-प्रशासन तंत्र का उपयोग लोगों को भयांक्रांत करने में करती है। उसका भयमुक्त और कानून का राज स्थापित करने का दाव  ङाूठा और मक्कारी भरा है। पुलिस ऊपरी शह के कारण प्रदेश में जंगलराज कायम किए हुए है। राजधानी में महिलाओं का सड़क पर निकलना निरापद नहीं है। सूदखोरों को खुली छूट है जिससे उत्पीड़ित लोग जन दे रहे है। अपराधी सत्तादल में संरक्षित है। 
सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा चूंकि प्रेस अपनी शक्ति भर सरकार की काली करतूतों को बेनकाब करता है इसलिए उसको अब कुचलने का पूरा इंतजम हो गया है। वैसे भी मुख्यमंत्री पत्रकारों के साथ अच्छा व्यहार नहीं करती है और अप्रिय सालों पर धमकी देने से भी बाज नहीं आती हैं। प्रेस के काम करने की आजदी उन्हें रास नहीं आती है। समाजवादी पार्टी ने अधिकारियों को भी चेतानी दी कि वे मायाती के कारिदों की तरह काम न करें। प्रेस की आजदी पर कोई भी चोट बर्दाश्त नहीं होगी। समाजदी पार्टी की घायल पत्रकारों के साथ सहानुभूति है और सरकार को इसके लिए सदन में तथा सदन के बाहर जबवही देनी होगी।जनसत्ता 




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