Thursday, February 12, 2009

‘द स्टेट्समैन’ के संपादक गिरफ्तार
जनादेश ब्यूरो
कोलकाता। कोलकाता में पुलिस ने अंग्रेज़ी अख़बार ‘द स्टेट्समैन’ के संपादक और प्रकाशक को गिरफ़्तार कर लिया है। इन दोनों पर मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने का आरोप लगाया गया है।मुस्लिम सुमदाय के कुछ लोगों ने अख़बार के संपादक रवींद्र कुमार और प्रकाशक आनंद सिन्हा के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराई थी। इससे पहले अखबार में प्रकाशित एक आलेख को लेकर लोगों ने प्रदर्शन किया था। संयुक्त पुलिस आयुक्त प्रशासन प्रदीप चटर्जी ने कहा कि द स्टेट्समैन के संपादक रवीन्द्र कुमार और इसके मुद्रक व प्रकाशक आनंद सिन्हा को  एक शिकायत पर उनके आवास से 
गिरफ्तार किया गया।
मोहम्मद शाहिद ने यहां बऊबाजार थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। कुमार और शर्मा को पुलिस ने मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट एस एस आनंद के समक्ष पेश किया और उन्हें पांच हजार रूपए के मुचलके पर अंतरिम जमानत दे दी गई।न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि इस मामले की अगली सुनवाई 25 फरवरी को होगी।जोहान हैरी का व्हाई शुड आई रेस्पेक्ट दीज आप्रेसिव रीलिजन्स यानी मुझे इन दमनकारी धर्मों का आदर क्यों करना चाहिए शीर्षक से प्रकाशित आलेख पहले द इंडिपेंडेंट में छपा था और पांच फरवरी को यहां द स्टेट्समैन में उसे दोबारा प्रकाशित गया।
आलेख के खिलाफ मुसलिम संगठन छह फरवरी से ही द स्टेट्समैन दफ्तर के सामने प्रदर्शन कर रहे थे। शिकायत में कहा गया कि पैगम्बर के बारे में उक्त लेख के कथन में कोई सच्चाई नहीं है और जानबूझ कर इसे दोबारा छापा गया है। दूसरी ओर, संपादक और प्रकाशक ने कहा है कि उन पर जानबूझकर बुरे इरादे से आलेख प्रकाशित करने का आरोप लगाया गया है जो सही नहीं है। जमाते-उलेमा-ए-हिंद से जुड़े कुछ लोगों ने शिकायत दर्ज की है कि 'द स्टेट्समैन’ में छपे लेख से उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं जो भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध है। इसबीच, संपादक रवींद्र कुमार ने पत्रकारों को बताया कि अख़बार में लेख को दोबारा छापने के लिए वे पहले ही माफ़ी मांग चुके हैं। उन्होंने कहा कि मैं मानता हूं कि संपादकीय स्तर पर यह एक गलती थी, लेकिन ऐसा जानबूझकर नहीं किया गया।जिस लेख यह बवाल मचा है उसे यहाँ पर पढ़ा जा सकता है।



2 comments:

Bahadur Patel said...

bahut sundar hai.

Bahadur Patel said...
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