Friday, September 23, 2011

सवा लाख एकड़ जमीन पर संकट के बादल

अंबरीश कुमार
वर्धा, सितंबर । महात्मा गांधी की कर्मभूमि में सवा लाख एकड़ खेती की जमीन पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं । वर्धा में पचासी थर्मल पवार प्रोजेक्ट परियोजना प्रस्तावित हैं ।इन परियोजनाओं में अमरावती जिले की सोफिया बिजली परियोजना,यवतमाल की जिम्मूविश परियोजना, वर्धा लेनको बिजली परियोजना,गोंदिया की अदानी परियोजना व चंद्रपुर की बिजली परियोजना का विस्तारीकरण भी शामिल है । जिसमे दर्जन भर से ज्यादा परियोजनाओं पर काम शुरू हो चुका है । जिसके चलते किसानों की पचास हजार हेक्टेयर जमीन इन परियोजनाओं की भेंट चढ़ने वाली है । ख़ास बात यह है की .समूचे महाराष्ट्र में बिजली की समस्या से निजात पाने के लिए 7000 मेगावाट बिजली की अतिरिक्त जरुरत है पर योजनाएं पचपन हजार मेगावाट उत्पादन की बनाई जा रही है । नतीजन आने वाले समय में इस अंचल में पानी का घनघोर संकट तो पैदा होगा ही साथ ही साथ पर्यावरण को भी बड़े पैमाने पर नुकसान उठाना पड़ेगा । इन बिजली घरों से चार लाख सड़सठ हजार मेट्रिक टन फ्लाई ऐश निकलेगा जिसे खपाते खपाते यहां का पर्यावरण चौपट हो जाएगा । मामला सिर्फ महाराष्ट्र तक सीमित नहीं है बल्कि सीमापर मध्यप्रदेश तक पहुंच चूका है । इन बिजली परियोजनाओं को लेकर जो राजनीति चल रही है उसके परिणाम घातक हो सकते हैं । यही वजह है कि वर्धा यवतमाल से लेकर छिंदवाडा तक बड़ी बिजली परियोजनाओं के खिलाफ आंदोलन गरमाने लगा है। आज अदानी समूह की बिजली परियोजना को लेकर छिंदवाडा के आदिवासी अंचल में खेत बचाओ जमीन बचाओ यात्रा का समापन हुआ तो कल राष्ट्रीय किसान पंचायत भूलामुह गांव में होने जा रही है । मेघा पाटकर कल नागपुर पहुंच रही है जहां वह किसानो के सवाल पर बैठक करेंगी तो दूसरी तरफ वे भूलामुह गांव की किसान पंचायत में हिस्सा लेंगी । यह किसान पंचायत नागपुर से एक सो पचास किलो मीटर दूर मध्यप्रदेश के छिंदवाडा जिले के एक आदिवासी गांव भूलामुह में हो रही है । इस किसान पंचायत में हिस्सा लेने के लिए कई जन संघटन और किसान संघटन के प्रतिनिधि आज नागपुर पहुंच गए हैं । किसान मंच के अध्यक्ष विनोद सिंह , मेघा पाटकर के सहयोगी और नर्मदा बचाओ आंदोलन के मधुरेश आज खेती बचाओ जमीन बचाओ यात्रा के समापन में शामिल हुए । इस यात्रा का नेतृत्व किसान संघर्ष समिति के मुखिया डा सुनीलम कर रहे है । डा सुनीलम ने जनसत्ता से कहा-इस अदानी पावर प्रोजेक्ट के अलावा एसकेएस पावर जनरेशन और पेंच परियोजना को लेकर किसानो का आंदोलन जोड़ पकड़ता जा रहा है । इस अंचल की जमीन काफी उपजाऊ है जिसके चलते अगर खेती की जमीन इन परियोजनाओं के लिए ली गयी तो हजारो किसान बर्बाद हो जाएंगे ।jansatta

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