Friday, September 23, 2011

मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में घमासान


अंबरीश कुमार
लखनऊ , सितंबर । उत्तर प्रदेश के आगामी विधान सभा चुनाव को लेकर सत्ता की दौड़ से बाहर जाती दोनों राष्ट्रीय पार्टियों भाजपा और कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की होड़ बढ़ती जा रही है । भारतीय जनता पार्टी में जहां इसे लेकर टकराहट अब कड़वाहट में बदल रही है वही कांग्रेस में भी गोलबंदी तेज हो गई है । भाजपा में तो इस दौड़ में कई राष्ट्रीय नेता शामिल है तो कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष से लेकर केंद्रीय मंत्री तक । भाजपा के राष्ट्रीय नेता इस अभियान को और हवा दे रहे है ।मुख्यमंत्री पद के संभावित दावेदारों में राजनाथ सिंह ,कलराज मिश्र ,विनय कटियार ,लालजी टंडन जैसे नेता भाजपा के है तो कांग्रेस में केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा , श्रीप्रकाश जायसवाल ,आरपीएन सिंह जैसे पिछड़ी जातियों के नेता से लेकर अगड़ी जातियों में रीता बहुगुणा जोशी ,प्रमोद तिवारी ,जगदंबिका पाल ,जितिन प्रसाद, ,संजय सिंह और दलित नेताओं मी पीएल पुनिया का नाम शुमार किया जा रहा है । यह बात अलग है कि अपने बूते पर यह पार्टिया तीसरे और चौथे नंबर की लड़ाई लडती नजर आ रही है ।
भाजपा के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने इस अभियान को यह कर कर गर्म किया कि उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री का नाम तय है तो पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कल बरेली में कहा -उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के लिए नाम तय हो चुका है पर यह समय आने पर ही बताया जाएगा । पार्टी के एक कार्यकर्त्ता प्रकाश सिंह ने कहा - मुख्यमंत्री का नाम छुपा कर क्यों रखना चाहते है राजनाथ सिंह । पार्टी के वरिष्ठ नेता कलराज मिश्र पहले ही यह चुके है कि मुख्यमंत्री का नाम घोषित कर चुनाव लड़ना चाहिए । सपा और बसपा के मुख्यमंत्री पद के नाम पहले से तय होते है । ऐसे में इनसे मुकाबला करने
जा रही भाजपा को भी अपने मुख्यमंत्री का ना नाम प्रोजेक्ट करना चाहिए । गौरतलब है कि भाजपा एक बार फिर कल्याण सिंह को लेकर विवाद में घिरी हुई है जो पार्टी के तीन में से एक पूर्व मुख्यमंत्री है । पिछली बार उन्हें मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट किया गया पर उनके समर्थको का आरोप है कि टिकट बंटवारे में उनकी नहीं चली और पार्टी सत्ता की दौड़ में पिछड़ गई । उनके अलावा राजनाथ सिंह दूसरे पूर्व मुख्यमंत्री है जिन्हें एक तबका मुख्यमंत्री पद का अघोषित दावेदार माना जा रहा है । यही वजह ही कि उत्तर प्रदेश में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की टकराहट बढ़ रही है ।
कोंग्रेस का हाल भी ठीक नहीं है । प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी की मुख्यमंत्री पद की दावेदारी का समर्थन करते हुए पार्टी के एक नेता ने कहा - कांग्रेस में यह परंपरा रही है कि चुनाव अभियान जिस अध्यक्ष के नेतृत्व में चलता है उसे ही सफलता मिलने पर कमान सौपी जाती है । अशोक गहलौत से लेकर दिग्विजय सिंह उदहारण है । कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रमोद तिवारी का इस पद के लिए दावा करने का कोई औचित्य ही नहीं है । वे तो सालों से से कांग्रेस में इस पद पर है पार्टी का क्या हाल है सबके सामने है । फिर दावेदारों की कमी कहाँ है । पिछड़े तबके में बेनी प्रसाद वर्मा ,श्रीप्रकाश जायसवाल और आरपीएन सिंह है तो राजपूत नेताओं में संजय सिंह ,जगदंबिका पाल और राजकुमारी रत्ना सिंह है । दलित बिरादरी से पीएल पुनिया है । इसलिए उनलोगों को ज्यादा ख़्वाब नहीं देखना चाहिए जो पार्टी को पीछे ले जा चुके है । jansatta

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