Tuesday, March 8, 2011

विदर्भ से लौट कर




चार दिन के विदर्भ दौरे के बाद कल शाम लौटा .अमरावती ,अकोला , वर्धा और नागपुर के करीब ढाई दर्जन गांवों का दौरा करने के बाद थकावट हो गई थी . दौरे में कई साथी भी शामिल थे . किसान नेता प्रताप गोस्वामी से लेकर पीजीवीएस के डाक्टर भानु और एपी सिंह भी .कल सुबह नागपुर में सुबह करीब छह बजे होटल छोड़ एयरपोर्ट रवाना हुआ था .नहाने के बावजूद आँखों में नीद भरी थी .वजह देर रात तक नागपुर के जिमखाना क्लब में बैठना था . हिन्दुस्तान टाइम्स के पत्रकार प्रदीप मैत्रा हर बार घर बुलाकर हिलसा मछली की दावत देते थे पर इस बार हमने उनसे महाराष्ट्र की मशहूर मछली मारन खाने की इच्छा जताई तो वे जिमखाना क्लब ले आए क्योकि वे इस क्लब के इकलोते पत्रकार सदस्य है .करीब सवा सौ साल पुराने इस क्लब का खाना दिव्य है .साथ आए मित्रों को भी यह जगह और यहाँ की डिसेज काफी पसंद आई . मारन मछली का स्वाद रोहू से अलग था . टीचर्स का दौर चला तो उठते उठते साढ़े बारह बज चुके थे .प्रदीप मैत्रा विदर्भ के किसानो पर जितना लिख चुके है उतना किसी ने भी नही लिखा है .इंडियन एक्सप्रेस के समय से वे किसानो पर लिख रहे है और खुदकुशी करने वाले एक किसान के परिवार का वे पूरा खर्चा उठाने के साथ उसकी दो बेटियों को पढ़ा रहे है. ऐसे पत्रकार कितने मिलेंगे .किसानों पर उनसे करीब दो घंटे बात हुई .डाक्टर भानु उनसे लिखवाना चाहते थे उसी सिलसिले में बात हो रही थी .
पिछले. तीन दिन से पुरी दिनचर्या बदली हुई थी .सुबह पांच बजे उठकर नहाना और फिर तैयार होकर विदर्भ के गांवों की तरफ चल देना .रात का खाना एक बजे तक हो पाता था . कई बार रात में घने जंगलों से गुजरे तो सड़क नदारत थी . दो वहां थे जिसमे एक में कैमरा टीम थी .बड़े वाहनों को ख़राब सड़क पर चलाना बहुत कठिन था .दिन भर गाँव गाँव जाना और गाँव वालों से बात करने के साथ विदरभ के किसानो और महिलाओं पर एक डाक्यूमेंट्री पर काम कर रहा था .लगातार काम के बाद लखनऊ लौटने की योजना में बदलाव हो गया .अब नागपुर से मुम्बई जाना था और फिर मुम्बई करीब तीन घंटे रुकने के बाद दिल्ली पहुंचना था .
दिल्ली में फिर कुछ समय समय बाद लखनऊ रवाना होना था . मुम्बई पहुंचे तो वडा पाँव खाने विले पार्ले के एक मशहूर दूकान पर पहुँच गए . मुम्बई का तापमान ३८ डिग्री पार कर चूका था जबकि सुबह नागपुर में कुछ सर्दी महसूस हो रही थी .तापमान यह बदलाव लखनऊ पहुँचते पहुँचते बुखार में बदल चूका था .
वैसे भी दूर दराज के इलाकों में जो पानी मिला उससे लग रहा था कि यह नुकसान पहुंचा सकता है .महाराष्ट्र के किसान नेता प्रताप गोस्वामी हर बार नास्ते और भोजन का इंतजाम किसानो खासकर जो कार्यकर्त्ता थे उनके घर ही रखते है . रविवार को सुबह उन्होंने अरुणा चापले के घर पोहा नास्ता करवाया तो दोपहर की बजाय शाम को एक दूसरे किसान विनोद भाई के घर दाल भात और भजिया का भोजन हुआ .घर से लगा संतरे का बाग़ था इसलिए कैमरामैन शाकिर ने सूर्यास्त का सीन यही फिल्माने का मन बनाया .हम लोग बगल में उस परिवार के घर चले गए जिसके मुखिया ने घर के बगल में पेड़ से लटक कर खुदकुशी कर ली थी .दो दीन से ऐसे ही परिवारों के बीच थे ..एपी सिंह , डाक्टर भानु ,विनोद सिंह और प्रताप गोस्वामी लगातार साथ रहे .सर्वेक्षण का काम भी पूरा हो चूका था अब लिखना और फिल्म का संपादन बाकी है जिसमे रायपुर के पुराने साथी और तहलका के पत्रकार राज कुमार सोनी मदद करेंगे .
अंबरीश कुमार

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