Wednesday, January 26, 2011

रिहंद बांध के प्रदूषित पानी से पिछले तीस दिन में पंद्रह बच्चों की मौत

अंबरीश कुमार
लखनऊ जनवरी । रिहंद बांध के प्रदूषित पानी से पिछले तीस दिन में पंद्रह बच्चों की मौत हो चुकी है । सोनभद्र जिले के म्योरपुर ब्लाक का बेलहत्थी ग्रामसभा के रजनी टोला में रिहंद बांध के जहरीले पानी को पीने से बच्चों की मौत का सिलसिला जारी है। आज इन पंद्रह बच्चों की सूची के साथ मानवाधिकार आयोग को पत्र भेज कर फ़ौरन दखल देने की मांग की गई । साल ,साखू ,आम और बेर जैसे पेड़ों के जंगल से घिरे इस गांव तक कोई सड़क नही जाती और न ही इस गांव में कोई स्कूल या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र आदि है । पीने के पानी के लिए रिहंद बांध से निकला एक नाला गांव तक आता है जिसका पानी पीकर लोग बीमार पद रहे है । दो हफ्ते पहले इस गाँव का पांच साल का बबलू जब रिहंद का जहरीला पानी पीकर गंभीर रूप से बीमार हुआ तो रेणुकूट में विनोद राय के नर्सिंग होम वालों ने दस हजार रुपए मांगे पर पैसा न होने पर बबलू को बिड़ला समूह के हिंडाल्को के अस्पताल ले जाया गया पर पैसे के मामले यहाँ भी रियायत नही मिली तो उस म्योरपुर के सरकारी अस्पताल ले जाने का फैसला किया गया पर बबलू अस्पताल नही पहुँच पाया और रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया । यह जानकारी इस बच्चे के साथ गए रजनी टोला के रमेश खरवार ने जनसत्ता को दी । इस पूरे मामले में जन संघर्ष मोर्चा के एक तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने गांव का दौरा करने के बाद अपनी रपट जारी की जिसके आधार पर मोर्चा ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पूरी जानकारी देते हुए दखल देने मांग की है ।
गौरतलब है कि इसी ब्लाक के कमरीड़ाड, लभरी और गाढ़ा गाँव में नवंबर २००९ में में दो दर्जन से ज्यादा बच्चे रिहन्द बांध का पानी पीने से मर चुके है। जिसकी खबर जनसत्ता में छपने के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया और इन गांवों में साफ़ पानी के इंतजाम किए गए । अब वही सब दूसरे गाँवो में दोहराया जा रहा है । इस संवाददाता ने कुछ समय पहले रिहंद बांध का दौरा करते समय यह देखा था कि किस तरह बिजली घर और अन्य उद्योग का कचरा सीधे बांध के पानी में बहाया जा रहा है । पर प्रशासन ने इसे रोकने के लिए कोई कदम नही उठाए । जिले के सीएमओ पीके कुरील का एक ही जवाब है कि गांव वालों को पानी ना पीने का सुझाव दिया जाता रहा है । पर इसका जवाब किसी के पास नही है कि जिस गांव में कुआँ या हैंड पंप न हो वे पानी के परम्परागत साधन यानी नदी नाले के अलावा कहाँ जाए ।
इस बीच जन संघर्ष मोर्चा ने आज म्योरपुर ब्लाक के ग्रामसभा बेलहत्थी के रजनी टोला में जहरीला पानी पीने से मरने वाले बच्चों की सूची भी जारी की । जो इस तरह है -1.रामधारी पुत्र बलजोर उम्र 1 वर्ष, 2.राम किशुन पुत्र वंषबहादुर उम्र 1 वर्ष, 3.सुनीता कुमारी पुत्री छबिलाल उम्र 6 वर्ष, 4.बबलू पुत्र शिवचरन उम्र 1 वर्ष, 5.मानकुवंर पुत्री ब्रजमोहन उम्र 8 वर्ष, 6.सन्तोष कुमार पुत्र शंकर उम्र 1 वर्ष, 7.सविता कुमारी पुत्री जीत सिंह खरवार उम्र 3 वर्ष, 8.बबलू सिंह पुत्र जवाहिर सिह खरवार उम्र 2 वर्ष, 9.चादंनी कुमारी पुत्री राजेन्द्र उम्र 3 वर्ष, 10.मुनिया कुमारी पुत्री रामचरन उम्र 3 वर्ष, 11.कुन्ती कुमारी पुत्री हिरालाल उम्र 2 वर्ष, 12.लल्ला पुत्र देवनारायण उम्र 6 वर्ष, 13.मुन्ना कुमार पुत्र सुभाष उम्र 2 वर्ष, 14.जितराम पुत्र अशोक उम्र 2 वर्ष,और .बबिता कुमारी पुत्री रमाशंकर उम्र 5 वर्ष ।
मोर्चा के प्रवक्ता दिनकर कपूर ने कहा - पिछली बार मोर्चा के पत्र को संज्ञान में लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने लेकर जिलाधिकारी सोनभद्र को निर्देषित भी किया था और उनसे रिर्पोट भी तलब की थी बावजूद इसके जिला प्रशासन का रवैया संवेदनहीन ही बना रहा है। यहां तक कि आंदोलन के दबाब में प्रदूषण बोर्ड और मुख्य चिकित्सा अधिकारी की जांच से यह प्रमाणित होने के बाद भी कि रिहन्द बांध का पानी जहरीता है सरकार और जिला प्रशासन ने जहरीला कचरा डालने वाली औद्योगिक इकाईयों के विरूद्ध कोई कार्यवाही नही की और न ही रिहंद बांध के आस पास बसे गांवों में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था की गई । यदि इस पर समय रहते जिला अधिकारी सोनभद्र ने कार्यवाही की होती तो बेलहत्थी में बच्चों को मरने से बचाया जा सकता था।
उन्होंने आगे कहा कि शुद्ध पेयजल देने में सरकार नाकाम रही है। आज भी लोग बरसाती नालों और बंधों का पानी पीने को मजबूर है और इससे विभिन्न बीमारियों का षिकार होकर बेमौत मर रहे है। अभी से ही इस पूरे क्षेत्र में पेयजल का संकट दिख रहा है। दुद्धी तहसील के तो गांवों में हैंड पंप जबाब दे रहे है और कुएं सूख रहे है। स्थिति इतनी बुरी है कि पानी के अभाव किसानों की फसल पिछले चार वर्षो से बरबाद हो रही है और इससे पैदा हुई आर्थिक तंगी की वजह से यहां के आदिवासी गेठी कंदा खाने को मजबूर है, जो की जहरीला है। वही दूसरी तरफ जनपद में प्राकृतिक सम्पदा और राष्ट्रीय सम्पदा की चौतरफा लूट हो रही है। सोन नदी को बंधक बना लिया गया है और अभ्यारण्य क्षेत्र में जहां तेज आवाज निकालना भी मना है वहां खुलेआम ब्लास्टिंग करायी जा रही है।
jansatta

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