Sunday, January 16, 2011

लास वेगास को मात देता लखनऊ




लखनऊ , जनवरी । अमेरिका के लॉस वेगास को भी अब मात देने लगा है नवाबों का शहर लखनऊ । यह टिप्पणी शनिवार की देर रात गोमती नगर के बाबा साहब भीमराव आंबेडकर स्मारक स्थल से हजरतगंज का दौरा करने के बाद अमेरिका से आई प्रोफ़ेसर अंजुला सक्सेना ने की । वे बदले हुए लखनऊ को देखकर हैरान थी। शनिवार को मुख्यमंत्री मायावती का जन्मदिन था और शाम ढलते ही लखनऊ की फिजां बदल चुकी थी । कल से ही हजरत गंज काफी समय बाद पूरी तरह आम लोगों के लिए खुला । यहाँ सुन्दरीकरण का काम चल रहा था । मूर्तियों ,पार्कों और स्मारकों के लिए लगातार राजनैतिक दलों के निशाने पर रही मायावती के समर्थन में शहर का आभिजात्य वर्ग खड़ा हो गया है । चाहे दो सौ वर्ष पुराने हजरत गंज का कायाकल्प हो या फिर गोमती नगर में आंबेडकर स्मारक स्थल के आसपास का नजारा हो , कल रात की नीली रौशनी के बाद शहर का यह इलाका यह देश के सभी खूबसूरत स्मारकों और पर्यटक स्थलों को मात देने लगा है । इसके सामने दिल्ली में २६ जनवरी को होने वाली रौशनी भी फीकी मानी जा रही है। अंबेडकर स्मारक से हजरत गंज की तरफ आगे बढ़ने पर लगेगा ही नहीं की यह अपने देश का हिस्सा है । यहाँ के खूबसूरत फौव्वारे ,नीली झालरें, नीली रोशनी बिखेरते बिजली के दिए ,शाही पुल और चमकती हुई सड़के मुंबई के मैरीन ड्राइव के क्वींस नेकलेस से ज्यादा खूबसूरत नजर आते है ।
कभी लखनऊ विश्विद्यालय में रीडर रही अंजुला सक्सेना अमेरिका में बस गई है पर इस बार अपने घर लौटी तो शहर देखकर कहा - रौशनी का जादू तो लॉस वेगास में नजर आता है पर यहाँ की रौशनी ,भव्यता और सफाई लॉस वेगास को मात देने वाली है । हालांकि यह नजारा शहर के एक हिस्से में ही नजर आता है आईटी कालेज से आगे अलीगंज की तरफ बढ़ते ही लगा कि कहीं गाँव में तो नही आ गए । पर वाकई गोमती नगर से हजरत गंज तक का इलाका पर्यटकों के लिए आकर्षण का नया केंद्र बन गया है । ' हजरतगंज की रंगत वाकई बदल गई है । शनिवार को मायावती के जन्मदिन के बाद से ही सैलानियों की भीड़ इस इलाके में बढ़ती जा रही है । पहले जहाँ लखनऊ आने वालों के लिए बड़ा इमामबाडा,भूलभुलैय्या ,छोटा इमामबाडा ,रेजीडेंसी ,शहीद स्मारक , चिड़िया घर जैसे पर्यटक स्थल होते थे तो अब इसमे दलित महापुरुषों के स्मारक के साथ ब्रिटिश राज का हजरत गंज भी शामिल हो गया है ।
हजरतगंज के सुंदरीकरण ने इसकी रंगत निखार दी है। खूबसूरत रंगीन रोशनी वाले फव्वारों के बीच हजरतगंज ने मानो ब्रिटिश शानो शौकत की याद ताज़ा कर दी है। चमचमाते फुटपाथ,जगमगाते विक्टोरियन लैंप, गंज की छटा बढ़ा रहे है। पूरे गंज में कई चीज़े एक सलीके व तरीके से सजाईगई है। जैसे एक रंग की बिल्डिंगे, एक जैसे साइन बोल्ड, नए स्टाइल का पुलिस बूथ व छोटा सा खुला रंगमंच। कई जगह आकर्षक बेंचे लगाई गई है। इन सबको देखकर लगता है कि शानों-शौकत के साथ बन-ठन कर 200 साल पुराना हजरतगंज और भी खूबसूरत और जवां हो गया है। चलिए हम गंज की खूबसूरती में चार चांदलगाने वाले कुछ चीज़ों के बारे में जान लें।
जगमगाते विक्टोरियन लैंपपोस्ट- सड़कों के दोनों तरफ डीएम आवास से हजरतगंज चौराहे तक जगमगाते विक्टोरियन लैंपपोस्ट लगाए गए है। कास्ट आयरन के बने इन डिजायनर लैंप पोस्ट मेंदो बड़ी लाइटें लगी है। चौराहे से लेकर डीएम आवास तक 141 लैंपपोस्ट लग चुके है। ये लैंप पोस्ट कोलकाता से मंगाए गए है। इनकी रोशनी में गंज शाम होते ही जगमगा उठता है। अस्सी के दशक का लव लेन फिर गुलजार हो गया है । उस दौर में मैफेयर फिल्म हाल , ब्रिटिश लाइब्रेरी और काफी हाउस जैसी जगहों पर शाम होते ही भीड़ हो जाती थी । लखनऊ विश्विद्यालय के छात्रावासों से छात्र और छात्राए हजरतगंज के लव लेन में नजर आते थे । पर बाद में हजरतगंज पर पटरी दुकानदारों से लेकर चाट खोमचे वालों का कब्ज़ा बढ़ा और बेतरतीब निर्माण ने इसका चेहरा पूरी तरह बिगाड दिया । मायावती सरकार ने एक बड़ा काम हजरतगंज को फिर पुराने दिनों में पहुँचाने का क्या है । अब गंज में
खूबसूरत निराले गोल बेंच- खूबसूरत कास्ट आयरन की पांच गोलाई वाली बेंच भी है । इन बेंचों को कपूर, सैमसंग प्लाज़ा व रायल कैफे रेस्टोरेंट के ठीक सामने लगाया गया है। प्रत्येक बेंचपर आठ आदमी बैठ सकते है। चार चौकोर व हाफ राउंड बेंच साहू के सामने लगी है। जिसमे ऊपर का हिस्सालकड़ी का व ऊपर का कास्ट आयरन का है। गंज में फुटपाथ पर लगी बेंचों पर बैठ कर इसकी खूबसूरती का आनंद उठाया जा सकता है। इनको गाढ़े हरे व काले रंगों से रंगा गया है। कुल 97 बेंचे लगी है जिनमे कपूर होटल कीतरफ 50 व साहू सिनेमा की तरफ 47 बेंचे लगी है। इन्ही बेंच पर बैठे बुजुर्ग उज्जवल बनर्जी ने कहा - मै तीस साल बाद लखनऊ आया हूँ और इस हजरत गंज को देखकर हैरान हूँ । वाकई यह शहर बदल गया है और बहुत ही खूबसूरत लग रहा है । बहुत सी सरकारे आई पर किसी ने शहर की खूबसूरती पर ध्यान नही दिया ।
इसके साथ ही हजरत गंज में चार फव्वारे लगाए गए है। शाम होते ही रंग बिरंगी लाईटों के साथ सजे फव्वारे किसी को भी सम्मोहित कर सकते है। इनमे से कपूर होटल, साहू, रुपानी ब्रदर्स, पुरानी कोतवाली व हलवासिया के पास मार्क्समैन रेस्टोरेंट के सामने लगा है। ये फव्वारे मानो गंज की खूबसूरती में चार चांद लगा रहे है। हजरत गंज में अब दूकानों के बाहर लगे साइन बोर्ड एक रंग में दिखने लगे है। काले रंग के बेस पर सफ़ेद रंग में लिखे साइन बोर्ड हर दूकान एक सी पहचान दे रहे है। इसी तरह रात में रौशनी से सजे दलित महापुरुषों के स्मारक देखते ही बनते थे । अगर इन स्मारकों में पत्थरों के साथ हरियाली पर भी जोर दिया जाता तो यक़ीनन यह विशव के मशहूर पर्यटक स्थलों को पीछे छोड़ देते ।
साभार -जनसत्ता
फोटो - विशाल श्रीवास्तव

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