Thursday, September 23, 2010

अयोध्या विवाद पर पक्षकार राजी नही तो सुलह कैसी ?


अंबरीश कुमार
लखनऊ सितंबर । अयोध्या विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला टालकर इस मामले में सुलह की जो संभावनाएं तलाशी जा रही ही उनपर फिर पानी फिरता नज़र आ रहा है । सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले बाद फिर सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से फिर यह यह साफ़ कर दिया गया कि इस मामले में वे देश की सबसे बड़ी अदालत में भी वही बात कहेंगे जो अब तक कहते आए है कि सुलह नही फैसला चाहिए । इस मामले के नब्बे वर्षीय मुस्लिम पक्षकार हाशिम अंसारी ने जनसत्ता से कहा - फैसला भले हफ्ते भर बाद आए पर फैसला होना चाहिए अब पंचायत या सुलह की कोई गुंजाइश नही है । यह सारा खेल कांग्रेस का है जिसने यह विवाद पैदा किया और अब फैसले को टालने की कोशिश में जुटी है । इस मामले को टलवाने में जहाँ कांग्रेस की भूमिका पर सवाल खड़ा हो रहा है वही भाजपा का भी सुर कांग्रेस के सुर में मिला हुआ है ।
राजनैतिक हलकों में माना जा रहा है कि फिलहाल यह मामला कुछ समय के लिए टल जाएगा । इस बीच कामनवेल्थ गेम्स और बिहार का चुनाव
निपट जाने से कांग्रेस को राहत मिल जाएगी । यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सबसे पहले कांग्रेस ने स्वागत किया । पर जिस मामले में सुलह के ग्यारह प्रयास हो चुके हों और कोई हल नहीं निकला हो उसके फिर सुलझ जाने की संभावना के क्या आधार होंगे यह कोई नही जनता ।तीन -तीन प्रधानमंत्री और शंकराचार्य तक इस मामले में पहल कर चुके है । इलाहाबाद हाईकोर्ट की जिस बेंच में यह मामला चल रहा है उसने भी जुलाई के आखिरी हफ्ते में सभी पक्षकारों से सुलह के बारे बातचीत की पर कोई तैयार नही हुआ ।
इस मामले में चार मुख्य दावेदार हैं- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा, रामजन्मभूमि न्यास और दिवंगत गोपाल सिंह विशारद। इनके वकीलों की भी यही राय है कि सुलह की कोई कोशिश नही की गई गई हैं। निर्मोही अखाड़ा ने जरुर फैसले की तारीख तीन दिन बढ़ा कर 27 सितंबर करने की बात की थी। पर जबतक मुस्लिम पक्षकार सुलह के लिए राजी नही होंगे सुलह होगी किससे ,यह कोई नही बता रहा । सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने पहले ही कहा था कि कांग्रेस इस मामले को टालने की साजिश में जुटी है । आज भी उन्होंने याचिका करने वाले रमेश चन्द्र त्रिपाठी की भूमिका पर सवाल उठाया और कहा -इनके बारे में और भी जानकारी ली जा रही है । जिलानी ने साफ किया कि सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड का रुख वही है जो पहले था । इस मामले में सुलह की कोई गुंजाइश नही है सिर्फ मामले को लटकाया जा सकता है । दूसरी तरफ श्रीराम जन्म भूमि पुनरुद्धार समिति की वकील रंजना अग्निहोत्री ने कहा -मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले से आहत हूं। इस पूरे मामले में त‍थाकथित राजनीतिक तत्वों ने वकीलों की मेहनत पर पानी फिरवा दिया है।
जनसत्ता

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