Monday, April 19, 2010

गर्मी से चटक रहा गोमुख ग्लेशियर


राजकुमार शर्मा
गोमुख .बढते तापमान ने मैदान के साथ ही हिमालय को भी बेचैन कर दिया है.अप्रैल माह में मई-जून जैसा तापमान हो जाने से गंगा के उद्गम स्थल गंगोत्री का बुरा हाल हो रहा है जिससे गोमुख ग्लेशियर पर भारी खतरा मण्डराने का संकेत धूप से चटक रहे ग्लेश्यिरों के भागीरथी में बहने से मिल रहा हैं . पर्यावरण वैज्ञानिक इसे मानवीय चहल कदमी से जोड़ कर देखने के साथ ग्लोबल वार्मिंग से इसे जोड़ रहे हैं.
गोमुख ग्लेशियर समुद्रतट से लगभग 13 हजार फीट की उंचाई पर स्थित हैं.पर्यटकों की लगातार बढ़ रही संख्या एंव पर्यटकों की पहली पंसद ग्लेशियरो के बनने के कारण हर वर्ष इन ग्लेशियरों तक मानव की आमद एंव चहलकदमी में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही हैं . ग्लेशियरों पर शोध कर रहे युवा वैज्ञानिकों के एक दल का मानना है कि गंगोत्री नेशनल पार्क के इस क्षेत्र में गत वर्ष रेकार्ड से अधिक पर्यटकों को जाने की छूट राज्य सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा दी गयी . इस मानवीय चहलकदमी के बढ़ोत्तरी का बुरा असर इन ग्लेशियरों पर पड़ा हैं.इसी के साथ इस सप्ताह में तापमान में हुए रिकार्ड बृद्धि से ग्लेशियर चटख रहे हैं.गंगोत्री,चतुरांगणी, शिंवलिंग,भागीरथी, केदारडोम,सतोपंथ ,कालिंदीखाल सहित दर्जन भर स्थलों सहित गोमुख के ग्लेशियर सभी आपस में एक दुसरे से जुड़े हुए हैं.गत वर्ष से घाटी में हुयी कम बर्फबारी के चलते इन ग्लेशियरों के अस्तित्व पर संकट मड़रा रहा हैं.इससे यह देखने को मिल रहा है कि हर वर्ष ग्लेशियरों की शक्ल बदलने के साथ ही ये तेजी से पीछे की ओर खिसक रहे हैं.जिसका सीधा प्रभाव गंगा पर भी पड़ रहा हैं.जिसका असर गंगोत्री में ही गंगा के प्रवाह में ही साफ दिखने लगा हैं.गोमुख से नाले के आकार में निकलने वाली गंगा का बेग गंगोत्री पहुचते ही भयंकर दिखता था जिसके बेग में भी लगातार कम होना दर्ज किया जा रहा हैं.कुछ वर्षो स ेअब तो महज मई जून के कुछ दिनों में ही इस बेग का दर्शन हो पाता हैं.पर्यावरण वैज्ञानिक पानी के इस बेग में आयी कमी को भी गंगा के अस्तित्व के लिए खतरे की घंटी मान रहे हैं.इस बार अभी घाटी का तापमान 25 से 30डिग्री पहुंचने के कारण ही तेज धूप के कारण ग्लेशियर चटख रहे हैं.इस तरह से बढ़ते तापमान का बुरा असर इस घाटी में रहने वाले दुर्लभ वन्यजीवों पर भी पड़ रहा हैं.पर्यावरण वैज्ञानिक इस पुरे गोमुख क्षेत्र में मानवीय दखल रोकने की तत्काल आवश्यकता बताते हुए
कहा कि गंगा एंव गोमुख को बचाने के लिए छोटे बड़े बाधों पर तत्काल रोक लगाने एंव हिमालय को निषिद्ध क्षेत्र घोषित करनी की बात कही हैं.इनका मानना है कि इन्ही खतरों के चलते गंगा का धवला स्वरूप भी कही -कही मटीमैला हो रहा हैं.देवभूमि हिमालय की महिमा गंगा के कारण ही वेद विदीत हैं.गंगा को बचाने के लिए इन ग्लेशियरों के अस्तित्व का बचना आवश्यक है

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