बाराबंकी। करीब डेढ़ माह के भीतर ही लगभग तीन दजर्न लोगों की आंखें फोड़ डालने के कारनामें के बाद कभी अफीम और मादक पदार्थो की तस्करी के लिए कुख्यात राजधानी लखनऊ से केवल पच्चीस किलोमीटर की दूरी पर स्थिति बाराबंकी भविष्य में अगर मरीजों की आंखें फोड़ने के लिए जना जये तो कोई ताज्जुब की बात नहीं होगी।
आंखें फोड़ने का काम कोई ङाोला छाप डाक्टर नहीं करते बल्कि वे चिकित्सक ऐसा कारनामा करते है जिन्हें आंखों के आपरेशन का विशेषज्ञ बताया जता हैं। फिलहाल १२ लोगों की आंखों की रोशनी इस शिविर में गुल हो गयी हैं। डाक्टर की लापरवाही से अब ये पूरी तरह अपने परिजनों पर बोङा बन गये हैं। अंधता निवारण के तहत नि:शुल्क आपरेशन शिविर लगने पर यहां ज्यादातर ऐसे मरीज आते है जो उम्र के आखिरी पड़ाव पर है या फिर जिनकी आर्थिक स्थिति डांवाडोल हैं।
ये सारा खेला अंधता निवारण के नाम पर किये जने वाले आपरेशन शिविरों के जरिये किया ज रहा हैं। अंधता तो खर इन शिविरों में मरीजों की दूर नहीं हुआ अलबत्ता इतना जरूर हुआ कि जो मरीज इन होशियार डाक्टर के शिकार बनें वे सूरदास हो गये। अब दिन-रात उनके लिए एक जसा हो गया हैं।
२३ और २४ तारीख को दो दिवसीय शिविर जिला मुख्यालय से करीब ५५ किलोमीटर दूर मवई में गोसाईगंज,फैजबाद के ब्लाक आई रिलीफ सोसाइटी के सौजन्य से लगाया गया। यहां लेंस प्रत्यारोपण विशेषज्ञ डा तारिक रियाज ने अलग-अलग गांवों के जिन ४१ मरीजों का आपरेशन किया उनमें करीब एक दजर्न की आंखों की रोशनी गुल हो गयी हैं।
इससे पहले अंधता निवारण कार्यक्रम के अन्तर्गत त्रिवेदीगंज में लगाये गये नेत्र आपरेशन शिविर में बेरहम डाक्टरों की लापरवाही और गैरजिम्मेदारी रवैये के कारण मरीजों की आंखों को फोड़ डाला गया था। गुलाम हसन पुरवा से आये इस शिविर में एक साठ वर्षीय मरीज प्यारा की इच्छा तो नहीं पूरी हुई अलबत्ता जो थोड़ा-बहुत ये देख पा रहे थे वह भी डाक्टरों की हठधर्मिता से छिन गया। इनका ‘गुनाह’ सिर्फ और सिर्फ इतना था कि इन्होंने शिविर में मौजूद चिकित्सक को बता दिया था कि उसकी दांयी आंख में परेशानी हैं। इस पर डाक्टर इतना ङाल्ला गया कि इन्हें एक तरीके से दबोच कर इनकी बांयी आंख का तियापांचा कर डाला। यही वह आंख था जिससे बुजुर्ग को धुंधला ही सही लेकिन दिखायी देता था। उम्र के इस पड़ाव पर जब अपने ही बेगाने से हो जते है, ऐसे में बुजुर्ग की रोशनी बलात छीनकर ‘‘होनहार डाक्टरों’’ ने बड़ी नेकी का काम कर डाला।
मवई के शिविरि में आपरेशन कराने आये बसेगापुर, ढेमा, कछौली, रसूलपुर और नेवरा के मरीजों ने बताया कि आंख के आपरेशन के बदले उनसे बाकायदा तीन अंको से चार अंको के बीच धनराशि वसूली गयी। बावजूद इसके उनकी तीमारदारी के नाम पर अंगूठा दिखा दिया गया। जब मरीजों ने आपरेशन के बाद आंखों में होने वाली दिक्कतों के बारे में डाक्टर को बताया तो उसने कहा कि जओं अपना काम करो। मैंने अपना काम कर दिया हैं। जिन मरीजों की आंखों की रोशनी अब पूरी तरह छिन गयी हैं। उनमें समिरता देवी, फली, संगम देई, रामप्रसाद, नफीस आदि शामिल हैं।
संवाददाता से बातचीत के दौरान एक मरीज ने हिचकियां लेते हुए बताया कि ‘कमबख्त डाक्टरों ने पता नहीं कौन सा बदला लिया हैं। अभी तो वह लाठी के सहारे चल-फिर भी लेता था लेकिन अब उन्हें हर वक्त दूसरे के कंधों का सहारा लेना पड़ेगा।’ घटना की जनकारी पाकर आज स्वास्थ्य महानिदेशक एलवी प्रसाद, एडीएम श्रीष दुबे और प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी बी एल सोनकर ने घटनास्थल का दौरा किया और यह माना कि वहां बहुत सारी कमियां थी। निर्धारित मानकों को पूरा नहीं किया गया था। मजे की बात तो यह है कि मवई के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में लगाये शिविर में प्रचार के पोस्टरों में डीएम और सीएमओ का नाम बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था। जिलाधिकारी रवीन्द्र ने कहा कि पूरे मामले की निष्पक्षता से जंच करायी ज रही है और दोषी व्यक्ति को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जयेगा।
रिजवान मुस्तफा
Monday, February 25, 2008
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