अंबरीश कुमार
महाराष्ट्र के भिंडरावाला बन रहे हैं राज ठाकरे। और यह पुनीत काम कर रही है कांग्रेस। जरनैल सिंह भिंडरावाला भिंडरावाला को भी कांग्रेस की शीर्ष नेता इंदिरा गांधी ने बनाया था। भिंडरावाला को बनाने का खामियाज भी इंदिरा गांधी को जन देकर चुकाना पड़ा था। देश में हिन्दू-सिख बंट गए थे और १९८४ के दंगों की जिन्हें याद है, वे उसे याद कर ही सिहर उठते हैं। अब राज ठाकरे उसी रास्ते पर चलने का प्रयास कर रहे हैं। उत्तर भारत से रेलवे की परीक्षा देने आए छात्रों को मुंबई की सड़कों पर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के गुंडों ने लाठी-डंडों से दौड़ा-दौड़ाकर मारा। यह लंपटों और शोहदों की निर्माण सेना थी या विध्वंस सेना, यह राज ठाकरे ही बता सकते हैं। यह सब संभव हुआ विलासराव देशमुख की निकम्मी सरकार के चलते। देशमुख और कांग्रेस महाराष्ट्र में शिव सेना और भाजपा को निपटाने के लिए आग से खेल रहे हैं। जिस तरह पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पंजब में अकालियों की राजनीति खत्म करने के लिए भिंडरावाले को खड़ा किया था, वैसे ही महाराष्ट्र से शिव सेना को खत्म करने के लिए कांग्रेस की विलास राव देशमुख सरकार ने राज ठाकरे को खड़ा किया है। हमारे संसदीय लोकतंत्र के लिए यह बड़ा खतरा है। राज ठाकरे की गिरफ्तारी से लेकर जमानत तक की कवायद राज्य सरकार का प्रायोजित नाटक था। जिसका आंखों देखा हाल बताकर चैनल वाले राज ठाकरे को भिंडरावाला की तरह नया ब्रांड बना रहे थे। कांग्रेस के नेता और एक चैनल के मुखिया राजीव शुक्ल टीवी पर चिंता जताते हुए कह रहे थे कि टीवी चैनल वाले राज ठाकरे को ज्यादा अहमियत देकर उसे बड़ा नेता बना रहे हैं। पर इस काम में उनका खुद का चैनल क्या कर रहा है, इस पर वे कुछ नहीं बोलते।
पिछले चौबीस घंटे में महाराष्ट्र में मराठी मानुष, मराठी भाषा और मराठी अस्मिता के नए ङांडाबरदार राज ठाकरे बन गए। विलासराव सरकार ने ठाकरे को महाराष्ट्र का भिंडरावाला बनाने का जो बीड़ा उठा रखा है, उसमें यही होना था। आधी रात को मुंबई से दूर रत्नागिरी में राज ठाकरे को गिरफ्तार किया जता है और दूसरे दिन दोपहर दो बजे तक समूचा महाराष्ट्र गर्माने के बाद उसे अदालत में पेश किया जता है। राज ठाकरे न तो विधायक हैं और न ही सांसद। बावजूद उसके राज ठाकरे को किसी राष्ट्राध्यक्ष की तरह सम्मानित करते हुए महाराष्ट्र की पुलिस उन्हें अदालत तक ले जती है। सुरक्षा के नाम पर आलीशान वातानुकूलित गाड़ी में वे अदालत ले जए जते हैं। यह वह पुलिस करती है जिसके आला अफसर की चुनौती पर राज ठाकरे एलान करते हुए कहते हैं-वर्दी उतारकर सड़क पर आओ तो बताता हूं मुंबई किसके बाप की है।
पिछले चौबीस घंटों में महाराष्ट्र में शिव सेना को निपटाने के लिए राज ठाकरे की गुंडा सेना को खुलकर छूट दी गई। जगह-जगह पर मारपीट, आगजनी और पथराव। उत्तर प्रदेश के एक पुलिस अधिकारी ने कहा-हमने पिछले एक दशक में इस तरह की अराजकता नहीं देखी है। सरकार के आगे बड़े-बड़े माफिया भीगी बिल्ली बन जते हैं। माफिया अतीक अहमद का साम्राज्य ध्वस्त हो चुका है। यदि सरकार की इच्छाशक्ति होती तो राज ठाकरे का कालर पकड़कर सड़क पर घुमाते हुए अदालत ले जया ज सकता था। पर सरकार तो खुद राज ठाकरे को बाल ठाकरे का विकल्प बनाने में तुली हुई है। इसकी कीमत उत्तर भारत के लोग दे रहे हैं।
विलासराव सरकार यदि इसी रास्ते पर आगे बढ़ती रही तो वह दिन दूर नहीं जब महाराष्ट्र राज ठाकरे के इशारों पर चलेगा। महानायक अमिताभ बच्चन अपने बेटे की उम्र के बराबर राज ठाकरे से गिड़गिड़ाते हुए माफी मांग चुके हैं। उत्तर भारत के छात्र पिटकर लौट चुके हैं। इनमें एक छात्र का शव भी पटना पहुंच चुका है। मुंबई के आटो वाले और टैक्सी वाले सहमे हुए हैं। हालात नहीं बदले तो वही स्थिति होगी जो अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में भिंडरावाला ने बना दी थी। और फिर एक आपरेशन ब्लू स्टार की जरूरत मुंबई में भी पड़ेगी। यह कांग्रेस को याद रखना चाहिए।
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