नईदिल्ली। ‘नया ज्ञानोदय’ के संपादक और ज्ञानपीठ के निदेशक रवींद्र कालिया ने हिंदी समुदाय में बढ़ते रोष के मद्देनजर ‘छिनाल’ शब्द के प्रकाशन के लिए माफी मांगी है। कालिया ने ‘जनसत्ता’ को एक पत्र में कहा है कि ज्ञानपीठ पुरस्कार वितरण समारोह के आयोजन के सिलसिले में वे आठ दिन गोवा रहे, इसलिए ‘संपादकीय दायित्व का निर्वाह करने में असमर्थ रहे।’ उन्होंने आगे कहा है कि ‘उन्हें इसका गहरा अफसोस और शर्मिंदगी है कि विभूति नारायण राय का साक्षात्कार जैसा का तैसा चला गया।’ इसके लिए वे ‘हिंदी जगत के समस्त पाठकों और रचनाकारों से क्षमाप्रार्थी हैं।’
कालिया का यह स्पष्टीकरण हिंदी लेखकों के गले शायद ही उतरे, क्योंकि उनके गोवा जाने से पहले ‘नया ज्ञानोदय’ का अंक तैयार हो चुका था। इतना ही नहीं, उन्होंने खुद अंक के संपादकीय में राय के साक्षात्कार को ‘सबसे बेबाक’ करार दिया था। बहरहाल, क्षमायाचना के साथ कालिया ने यह जानकारी भी दी है कि अगस्त का वह अंक ‘जहां जहां से उपलब्ध हो सके, वापस मंगवा लिया गया है तथा वीएन राय के साक्षात्कार से विवादास्पद तथा आपत्तिजनक अंश हटा दिये गये हैं।’
ज्ञानपीठ के भीतर यह चर्चा है कि कालिया की यह सफाई ज्ञानपीठ के न्यासियों को स्वीकार होगी या नहीं। न्यास मंडल की बैठक 23 अगस्त को मुकर्रर है। फिलहाल केवल आलोक जैन कालिया के तरफदार हैं।
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