अंबरीश कुमार
लखनऊ, नवम्बर। बाटला हाउस मुठभेड़ के दो महीने पूरे होने पर आज सरायमीर क्षेत्र में मुसलिम समुदाय के लोगों ने काली पट्टी बांधकर विरोध दिवस मनाया। संजरपुर गांव में मुसलिम समुदाय के लोगों ने आरोप लगाया कि आसपास के गांव के करीब दजर्न भर नौजवान इस घटना के बाद से गायब हैं जिनका कोई अता-पता नहीं चल रहा। बाटला हाउस मुठभेड़ के बाद पुलिस की कार्रवाई से जो दहशत फैली, उसका असर करीब दजर्न भर गांव पर पड़ा। संजरपुर से जो नौजवान गायब हुए हैं, उनमें डाक्टर शाहनवाज भी शामिल है जो बाटला हाउस मुठभेड़ में गिरफ्तार सैफ का भाई है। इसके अलावा सलमान, साजिद, खालिद, असदुल्ला, राशिद और मोहम्मद आरिज का बाटला हाउस मुठभेड़ के बाद से पता नहीं चल रहा है। असदुल्ला कोटा में पढ़ रहा था तो मोहम्मद आरिज मुजफ्फरनगर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था। इसके अलावा एक नौजवान उस्मान जिसकी फोटो का स्कैच आतंकवादियों के स्कैच से मिलता-जुलता था, वह दहशत के मारे अर्ध विक्षिप्त हो गया और उसकी मां को ब्रेन हेमरेज हो गया। उसे लोगों ने कहा था कि जल्द ही पुलिस आतंकवादी होने के शक में पकड़ने वाली है।
बाटला हाउस मुठभेड़ की छाया से अभी भी संजरपुर गांव मुक्त नहीं हो पाया है। इस गांव की पहचान आतंकवादियों की नर्सरी के रूप में बना दी गई है। पीपुल्स यूनियन फार ह्यूमन राइट्स यहां पर अल्पसंख्यकों के बीच कुछ समय से काम कर रहा है। पीयूएचआर के कार्यकारिणी सदस्य शाहनवाज आलम, और राजीव यादव ने कहा-आज संजरपुर के गांव के लोगों ने विरोध दिवस मनाकर बाटला हाउस मुठभेड़ की न्यायिक जंच की मांग दोहराई। इसके अलावा संजरपुर व आसपास के गांव से गायब हुए करीब दजर्न भर नौजवानों को तलाश करने की गुहार लगाई। गांव वालों का आरोप है कि एसटीएफ ने दहशत फैलाने वाले हथकंडे अभी छोड़े नहीं हैं। गांव के आसपास बिना नंबर प्लेट के टाटा सूमो गाड़ी अक्सर घूमती रहती हैं। इन गाड़ियों में हाकी, डंडे, रस्से व बड़े-बड़े बैग रखे रहते हैं।
बाटला हाउस घटना के बाद से सरायमीर क्षेत्र के समूचे मुसलिम समुदाय की पहचान ही संदिग्ध हो गई है। पुलिस का सांप्रदायिक तौर तरीका अभी बदला नहीं है। आज ही सरायमीर के रहने वाले एजज अहमद जब अपने घर पर हुई डकैती की रपट लिखाने सरायमीर थाने गए तो वहां के एसओ कमलेश्वर सिंह ने सांप्रदायिक गालियां दी और आतंकवादी कहकर भगा दिया। पुलिस का यह रवैया नया नहीं है। इसे लेकर अल्पसंख्यक समुदाय में नाराजगी भी बढ़ती ज रही है। पीयूएचआर के प्रवक्ता सत्येन्द्र सिंह ने कहा-बाटला हाउस मुठभेड़ के बाद से ही पुलिस का रवैया और कट्टर हो गया है। इस पूरे मामले में केन्द्र की यूपीए सरकार भी कम दोषी नहीं है। सरकार के मंत्री तक इस मामले की न्यायिक जंच की मांग कर चुके हैं पर कोई पहल नहीं हुई। इसका खामियाज कांग्रेस को चुनाव में भी भुगतना पड़ सकता है। संजरपुर का ही एक छात्र वसीउद्दीन लखनऊ विश्वविद्यालय में बीए करने के बाद सिविल सर्विस में जने का सपना संजोए था पर बाटला हाउस की घटना के बाद से वह लगातार दहशत में है और पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो चुकी है। दूसरी तरफ लखनऊ में ही ११वीं का छात्र मुराद इस घटना से काफी डरा हुआ है। उसका कहना है कि पुलिस ने उससे कम उम्र के साजिद को जब आतंकवादी बताकर मार डाला तो कहीं वह भी पुलिस का निशाना न बन जए।
jansatta se
1 comment:
yah bhi achchha hai.
Post a Comment