Tuesday, June 5, 2012

हार का बदला लेने को तैयार समाजवादी बहू

सविता वर्मा लखनऊ,जून ।फिरोजाबाद की हार का बदला कन्नौज में लेने को तैयार है डिंपल यादव । कन्नौज संसदीय क्षेत्र के लोगों के बढते दबाव के बाद को वह से चुनाव लडाने का फैसला पार्टी ने किया क्योकि लगातार नौजवानों का प्रतिनिधिमंडल पार्टी मुख्यालय पहुँच रहा था । वर्ना अखिलेश यादव खुद इस पक्ष में नही थे । खैर ,सर्वदलीय हो चुके परिवारवाद का ठीकरा सिर्फ डिंपल यादव पर जो फोडना चाहते है उनकी चिंता छोड़ दे तो यह सीट समाजवादी पार्टी की सबसे मजबूत सीट है जिसे वह किसी कीमत पर जाने नही देना चाहती है । दूसरे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सत्ता में सौ दिन की राजनैतिक समीक्षा भी डिंपल यादव की इस जीत से भी कुछ हद तक होगी ।अखिलेश यादव का राजनैतिक एजंडा अभी पूरी तरह साफ़ नही हो पाया है पर अबतक के फैसलों से उनपर उंगली भी नही उठी है । सौ दिन पूरे होने के साथ ही सरकार की भी समीक्षा शुरू हो जाएगी । फिलहाल डिंपल यादव के चुनाव पर । कन्नौज संसदीय सीट पर हो रहे उपचुनाव के लिए डिंपल यादव ने अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। फिरोजाबाद में डिंपल यादव को राजबब्बर से शिकस्त देने वाली कांग्रेस मैदान छोड़ चुकी है ।इसलिए नही कि वह कोई त्याग कर रही है बल्कि इसलिए कि इस चुनाव में उसका जितना असंभव है चाहे जिसे वह ले आए । राहुल गांधी का राजनैतिक करिश्मा तोड़ने वाले अखिलेश यादव को उनके गढ़ में अब चुनौती देने का साहस किसी भी कांग्रेसी दिग्गज में नहीं है । रायबरेली और अमेठी का हाल कांग्रेसी देख चुके है । बाकि बची भाजपा तो न वह कोई जोखम लेने को तैयार है और न बसपा । इसलिए डिंपल यादव की जीत तय है सिर्फ मतगड़ना की औपचारिकता बाकी है । उत्तर प्रदेश की राजनीति में आधा अपने नेताओ के दर्जन भर पुत्र पुत्रियों को उतर चुकी भाजपा भी परिवारवाद का आरोप लगती है तो वंशवाद का प्रतीक बन चुकी कांग्रेस भी । अगर उत्तर प्रदेश कि राजनीति में जयाप्रदा से लेकर अनु टंडन आ सकती है ,महारानी अमिता सिंह आ सकती है तो डिंपल यादव से किसी को क्यों परहेज होगा । यह जान लेना जरूरी होगा कपिछले विधान सभा चुनाव में मिली ऐतिहासिक जीत के पीछे डिंपल यादव की हार थी । इस हार ने ही अखिलेश को नई ताकत दी और जब वे पिछले साल सितम्बर से गांव गांव घूम रहे थे तो न दिल्ली और न लखनऊ के मीडिया ने कोई तवज्जो दी थी सभी राहुल गांधी से लेकर मायावती को सत्ता का दावेदार मान रहे थे । पर जनवरी फरवरी आते आते दिल्ली मुंबई का मीडिया अखिलेश यादव कीं राजनैतिक बढ़त को लेकर आशंकित हो चुका था । सर्वे भी मायावती को अब पूर्ण बहुमत से नीचे उतार रहे थे । जनसत्ता ने विधान सभा चुनाव की शुरुआत से ही यह साफ़ कर दिया था कि मायावती सत्ता से जा रही है और अखिलेश यादव अगले मुख्यमंत्री होंगे । अब सत्ता में आने के बाद अखिलेश यादव कि पहली राजनैतिक परीक्षा लोहिया के संसदीय क्षेत्र कन्नौज में होने जा रही है जो खुद लगातार यहाँ से सांसद रहे है । पर यह सभी जानते है यहाँ लड़ाई एकतरफा है और डिंपल यादव की जीत सुनिश्चित है । पिछले कुछ समय में डिंपल यादव राजधानी के कई सार्वजनिक कार्यक्रमों में अपनी मौजूदगी से लोगों का ध्यान आकर्षित कर चुकी है । पहाड से नाता रखने वाली डिंपल निजी व्यव्हार में काफी सौम्य है जो इस समाजवादी परिवार के पुराने तेवर से अलग हटकर है ।